Top
Begin typing your search above and press return to search.

क्या अंदरूनी हालात के चलते पाकिस्तान को खाली करना पड़ेगा पीओके?

भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में साफ कर दिया कि पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) छोड़ना होगा। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब भारत ने स्पष्ट रूप से पीओके पर अपना पक्ष रखा है

क्या अंदरूनी हालात के चलते पाकिस्तान को खाली करना पड़ेगा पीओके?
X

नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में साफ कर दिया कि पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) छोड़ना होगा। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब भारत ने स्पष्ट रूप से पीओके पर अपना पक्ष रखा है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सरकार को यह चिंता सता रही है कि वह कब तक देश को एक रख पाएगी।

भारत ने शांति स्थापना सुधारों पर संयुक्त राष्ट्र की बहस के दौरान जम्मू-कश्मीर मुद्दे को एक बार फिर उठाने के लिए पाकिस्तान पर पलटवार किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर का बार-बार उल्लेख करने को 'अनुचित' बताया और दृढ़ता से दोहराया कि यह क्षेत्र 'भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।'

हरीश ने कहा, "पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा करना जारी रखे हुए है, जिसे उसे खाली करना होगा। हम पाकिस्तान को सलाह देंगे कि वह अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस मंच का ध्यान भटकाने की कोशिश न करे।"

कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मार्च को बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि वह पाकिस्तान से यह उम्मीद नहीं करते कि वह पीओके को भारत के हवाले कर देगा लेकिन पीओके के लोग खुद ही यह मांग करेंगे कि उन्हें भारत के साथ जोड़ दिया जाए और जम्मू-कश्मीर के साथ एकीकृत कर लिया जाए।

राजनाथ सिंह का इशारा पाकिस्तान के जर्जर हालात की तरफ था जो आर्थिक संकट के साथ साथ क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित करने के लिए भी संघर्ष कर रहा है।

पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में बलूचिस्तान में अलगाववादी आवाजें बेहद मजबूत हो गई हैं, वहीं पाक-अफगान सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर में पिछले कई दिनों में विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता सड़कों पर उतरती रही है। आर्थिक मोर्च पर देश भारी नाकामी झेल रहा है और पाकिस्तान की एकमात्र उम्मीद विदेशी कर्ज है। सिंध में भी नाराजगी बढ़ रही है। लोग सिंधु नदी पर नई नहर परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं उनका आरोप है कि ये नहरें सिंध को उसके पानी से हमेशा के लिए वंचित कर देगी।

आतंकवाद देश के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे संगठन लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) आतंकी हिंसा के गढ़ बनते जा रहे हैं सरकार तमाम दावों के बावजूद हमलों को रोक नहीं सकी है।

ऐसा लगता है कि देश के मुश्किल हालात और विभिन्न क्षेत्रों में उठ रही अलगवावादी आवाजों से पाकिस्तान को यह एहसास होने लगा है कि वह अब पीओके को अपने पास ज्यादा दिन तक नहीं रख पाएगा।

23 मार्च को पाकिस्तान स्थापना दिवस पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के भाषण में भी यही चिंता दिखाई दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भू-राजनीतिक (जियो पॉलिटिकल) चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत की हमेशा से पाकिस्तान पर बुरी नजर रही है। बहादुर सेना इन मुश्किलों का डटकर मुकाबला कर रही है। पांचवीं पीढ़ी का युद्ध (सूचना, प्रचार, साइबर हमला से लड़ी जाने वाली जंग) एक चुनौती बन गया है। हालांकि, पाकिस्तान इस चुनौती से निपट सकता है।

जरदारी भले ही दावा करें लेकिन पाकिस्तान के अंदरूनी हालात और सरकार की बेबसी एक सुरक्षित और अखंड देश की गवाही नहीं दे रही है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it