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ह्यूंदै ने 3.3 अरब डॉलर के आईपीओ के लिए भारत को क्यों चुना

ह्यूंदै भारतीय बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए 3.3 अरब डॉलर के आईपीओ पर दांव लगा रही है

ह्यूंदै ने 3.3 अरब डॉलर के आईपीओ के लिए भारत को क्यों चुना
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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है. इस दशक के अंत तक इस सेक्टर में काफी वृद्धि की उम्मीद है. ह्यूंदै बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए 3.3 अरब डॉलर के आईपीओ पर दांव लगा रही है.

दक्षिण कोरिया की दिग्गज कार कंपनी ह्यूंदै ने 15 अक्टूबर को अपना आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव) लॉन्च किया. यह भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ है. इसका मूल्य लगभग 3.3 अरब डॉलर (भारतीय मुद्रा में करीब 27,870 करोड़ रुपए) है.

भारत में बढ़ती जा रही है इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री

साल 2003 में मारुति सुजुकी के बाद ह्यूंदै भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली पहली कार कंपनी है. ह्यूंदै इंडिया अपने 14.2 करोड़ शेयर बेच रही है, जो इसके कुल शेयरों का लगभग 17.5 फीसदी हैं. शेयर खरीदने के लिए खुदरा निवेशक 17 अक्टूबर तक बोली लगा सकते हैं. एक शेयर की कीमत 1865-1960 रुपए रखी गई है. शेयर बाजार में लिस्टिंग 22 अक्टूबर से शुरू हो सकती है.

बिक्री के मामले में ह्यूंदै भारत की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है. यह 1996 में राष्ट्रीय बाजार में जल्दी प्रवेश करने से हुए फायदे को और भुनाना चाहती है. पिछले साल ह्यूंदै ने भारत में छह लाख से ज्यादा गाड़ियां बेची थीं, जो 2022 के मुकाबले नौ फीसदी अधिक थीं. कंपनी को उम्मीद है कि अतिरिक्त फंड आने से मारुति सुजुकी और उसके बीच मौजूद बाजार में हिस्सेदारी के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी.

भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो सेक्टर है और यह तेजी से बढ़ रहा है. पिछले साल यहां 40 लाख से ज्यादा वाहन बिके थे. ऑटो सेक्टर यहां की अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ है. भारत के बड़े और बढ़ते हुए उपभोक्ता वर्ग, शहरीकरण की दर और तुलनात्मक रूप से कम उत्पादन लागत होने के चलते यह ह्यूंदै के लिए अपनी गाड़ियां बनाकर बेचने के लिए आदर्श जगह है.

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वहीं, भारत सरकार घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है. यह बात भी ह्यूंदै की रणनीति के साथ मेल खाती है. कंपनी भारत को चीन और रूस के एक अहम विकल्प के रूप में भी देख रही है. इन दोनों देशों में भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण ब्रिकी में गिरावट आई है. भारत अपने समकक्ष देशों की तुलना में ज्यादा स्थिर माहौल उपलब्ध कराता है.

एलआईसी के आईपीओ को पीछे छोड़ देगी ह्यूंदै

इस साल पैसे जुटाने के मामले में ह्यूंदै का आईपीओ दुनियाभर में दूसरे नंबर पर होगा. पहला नंबर दुनिया की सबसे बड़ी कोल्ड स्टोरेज कंपनी 'लीनिएज लॉजिस्टिक्स' का है. जुलाई में हुई इसकी लिस्टिंग का मूल्य पांच अरब डॉलर से ज्यादा था.

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ह्यूंदै का आईपीओ साल 2022 में लाए गए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ को पीछे छोड़ देगा. तब सरकार ने एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 2.7 अरब डॉलर जुटाए थे. हालिया सालों में घरेलू स्तर पर हुई अन्य बड़ी लिस्टिंग में फिनटेक कंपनी पेटीएम का नाम शामिल है. नवंबर 2021 में आए इसके आईपीओ का मूल्य 2.2 अरब डॉलर था. इससे पहले 2010 में कोल इंडिया 1.8 अरब डॉलर के मूल्य के साथ लिस्ट हुई थी.

पिछले चार सालों में भारतीय शेयर बाजार में भारी वृद्धि देखी गई है. अप्रैल 2020 से सितंबर 2024 के बीच यह 210 फीसदी बढ़ा है. 15 अक्टूबर को सेंसेक्स 81,820 पर कारोबार कर रहा था. यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्य इंडेक्स है, जो देश के 30 सबसे बड़े शेयरों का हाल बताता है. हाल ही में हांगकांग को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बना है.

बड़े निवेशकों ने जमकर खरीदे शेयर

इस हफ्ते की शुरुआत, यानी 14 अक्टूबर को संस्थापक निवेशकों ने करीब एक अरब डॉलर के शेयर खरीदे. यह ह्यूंदै लिस्टिंग की लोकप्रियता को दिखाता है. सिंगापुर सरकार और अमेरिका की दिग्गज निवेश कंपनी ब्लैकरॉक ने कुल 7.7 करोड़ डॉलर के शेयर खरीदे.

फिडेलिटी ने 7.6 करोड़ डॉलर के शेयर खरीदे. वहीं, घरेलू म्यूचुअल फंड्स को 34 करोड़ डॉलर के शेयर आवंटित किए गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 अक्टूबर को आईपीओ के पहले दिन खुदरा निवेशकों ने उपलब्ध शेयरों में से 18 फीसदी खरीद लिए.

भारत को लेकर क्या है ह्यूंदै की योजना

भारत के ऑटो सेक्टर में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है. घरेलू कंपनी टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की वजह से ह्यूंदै की बाजार में हिस्सेदारी कम हुई है. ह्यूंदै की भारतीय इकाई के प्रबंध निदेशक उनसू किम ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत दुनिया के सबसे रोमांचक ऑटो मार्केट्स में से एक है और यह आईपीओ सुनिश्चित करेगा कि 'ह्यूंदै मोटर इंडिया' भारत में सफलता के लिए और ज्यादा समर्पित है.

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ह्यूंदै की योजना है कि इस आईपीओ से मिले फंड का उपयोग अपने शोध प्रयासों को बढ़ाने और नई कारों को विकसित करने में किया जाए. कंपनी ग्लोबल साउथ के दूसरे देशों के लिए भारत को एक उत्पादन केंद्र बनाना चाहती है. अभी भी ह्यूंदै भारत में बनी गाड़ियों को 90 से ज्यादा देशों में भेजती है.

ह्यूंदै इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर तरुण गर्ग ने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बताया, "हम उभरते हुए बाजारों के लिए ह्यूंदै का वैश्विक उत्पादन केंद्र बनना चाहते हैं. अगले तीन-चार सालों में उत्पादन में 30 फीसदी की बढ़ोतरी होने से हमारी घरेलू और निर्यात मात्रा में सुधार होगा." ह्यूंदै भारत में पहले ही पांच अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है.

कंपनी की योजना अगले दशक में चार अरब डॉलर और निवेश करने की है, जिससे भारतीय इकाई इसके इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) उत्पादन का एक प्रमुख आधार बन सके. साथ ही, चार्जिंग स्टेशनों और एक बैटरी असेंबली प्लांट जैसा ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जा सके. वर्तमान में, घरेलू बिक्री और निर्यात के लिए ह्यूंदै के पास भारत में एक उत्पादन केंद्र है. दूसरे केंद्र में 2025 में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. इससे ह्यूंदै को भारत में अपनी कुल क्षमता को दस लाख इकाई प्रति साल से ऊपर पहुंचाने में मदद मिलेगी


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