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ट्रंप की जेलेंस्की को चेतावनी: “युद्ध उनके बिना भी सुलझ सकता है”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकाते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध उनके बिना भी खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि जेलेंस्की को जल्द से जल्द समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए, नहीं तो उनके पास कोई देश नहीं बचेगा

ट्रंप की जेलेंस्की को चेतावनी: “युद्ध उनके बिना भी सुलझ सकता है”
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न्यूयॉर्क। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकाते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध उनके बिना भी खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि जेलेंस्की को जल्द से जल्द समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए, नहीं तो उनके पास कोई देश नहीं बचेगा।

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि रूस के साथ युद्ध खत्म करने के लिए बातचीत चल रही है और यह केवल उनका प्रशासन ही कर सकता है। यह बयान उस समय आया जब जेलेंस्की ने शिकायत की कि सऊदी अरब के रियाद में हुई अमेरिकी और रूसी राजनयिकों की बैठक में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उनके देश को बाहर रखकर कोई शांति समझौता किया गया तो वे उसे स्वीकार नहीं करेंगे।

ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद जेलेंस्की ने उन पर हमला करते हुए कहा कि ट्रंप गलत सूचनाओं के जाल में जी रहे हैं। ट्रंप ने तुरंत पलटवार करते हुए जेलेंस्की को “बिना चुनावों के तानाशाह” कह दिया। उनका इशारा यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव न कराए जाने की ओर था, जिसे युद्ध के कारण स्थगित कर दिया गया था। इससे पहले भी ट्रंप विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने यूक्रेन पर ही युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया, जबकि असल में रूस ने 2022 में उस पर हमला किया था।

ट्रंप का मानना है कि अमेरिका यूक्रेन का मुख्य समर्थक है, इसलिए वह जेलेंस्की को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शांति समझौते के लिए मजबूर कर सकते हैं। इसी बीच, रूस और अमेरिका के राजनयिकों की बैठक चार घंटे तक चली, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल थे। दोनों देशों ने बातचीत को सकारात्मक बताया और अपने दूतावासों को पूरी तरह से काम करने देने पर सहमति जताई।

ट्रंप ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि यूक्रेन युद्ध में अमेरिका को यूरोप की तुलना में कहीं ज्यादा आर्थिक बोझ उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ज़ेलेंस्की ने अमेरिका से 350 बिलियन डॉलर लेने में सफलता हासिल की, जबकि यह एक ऐसा युद्ध था जिसे कभी शुरू ही नहीं करना चाहिए था। ट्रंप का कहना है कि यूरोप को भी उतना ही सहयोग देना चाहिए जितना अमेरिका दे रहा है, क्योंकि यूक्रेन अमेरिका से दूर है जबकि यूरोपीय देशों का पड़ोसी है।

ट्रंप ने राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी निशाना साधा और कहा कि बाइडेन ने यूक्रेन में शांति स्थापित करने की कोई कोशिश नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि ज़ेलेंस्की ने बाइडेन के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया, लेकिन उनके युद्ध को रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई।

रूस फिलहाल यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर कब्जा कर चुका है, जबकि यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क इलाके के कुछ छोटे हिस्सों पर ही नियंत्रण किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि यूक्रेन के लिए 2014 की सीमाओं पर लौटना अब असंभव है, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन का नाटो (नाटो) में शामिल होना अब संभव नहीं लगता।


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