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ट्रंप ने ईरान को समझौते की पेशकश की, विनाश की धमकी भी दी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ समझौता करने की पेशकश की, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि अगर ईरान नहीं मानता है, तो यह उसके घातक साबित होगा। इसके अलावा, उन्होंने ईरान की तेल बिक्री को रोकने के लिए उस पर "अधिकतम दबाव" डालने का आदेश दिया

ट्रंप ने ईरान को समझौते की पेशकश की, विनाश की धमकी भी दी
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न्यूयॉर्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ समझौता करने की पेशकश की, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि अगर ईरान नहीं मानता है, तो यह उसके घातक साबित होगा। इसके अलावा, उन्होंने ईरान की तेल बिक्री को रोकने के लिए उस पर "अधिकतम दबाव" डालने का आदेश दिया।

व्हाइट हाउस में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं ईरान से यह कहना चाहता हूं कि मैं एक बड़ा समझौता करना चाहता हूं। एक ऐसा समझौता जिससे वे अपनी जिंदगी आगे बढ़ा सकें।" लेकिन उन्होंने साफ कहा कि ईरान परमाणु हथियार नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह ईरान के लिए बहुत दुर्भाग्यशाली साबित होगा।

ट्रंप के इस रुख में बदलाव देखा गया क्योंकि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हुए बहुराष्ट्रीय समझौते को रद्द कर दिया था।

बाद में, ट्रंप ने कहा कि उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अगर ईरान उनकी हत्या का प्रयास करता है, तो उसे पूरी तरह मिटा दिया जाए। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने उन्हें मारने की साजिश रची थी। इस मामले में न्यूयॉर्क में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने दोहराया कि अगर ईरान ने उनकी हत्या की, तो "यह उसका अंत होगा।" उन्होंने कहा, "मैंने पहले ही आदेश दे दिए हैं, अगर उन्होंने ऐसा किया, तो उन्हें मिटा दिया जाएगा। कुछ भी नहीं बचेगा।"

ट्रंप ने ईरान की तेल बिक्री रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात भी कही। उन्होंने कहा, "मैंने ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति फिर से लागू की है। हम फिर से कड़े प्रतिबंध लगाएंगे, ईरान के तेल निर्यात को शून्य कर देंगे और उनके आतंकवाद को धन देने की क्षमता को खत्म करेंगे।"

ट्रंप का यह प्रस्ताव उनके अनोखे कूटनीतिक तरीकों का हिस्सा है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन से तीन बार मुलाकात की थी, लेकिन प्योंगयांग को परमाणु कार्यक्रम छोड़ने के लिए राजी नहीं कर सके थे।

वर्तमान में ईरान कमजोर स्थिति में है क्योंकि उसका सहयोगी, सीरिया का पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद सत्ता से बाहर हो चुका है और उसके समर्थक गुट हिजबुल्लाह व हमास कमजोर हो चुके हैं। साथ ही, ईरान में नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान सत्ता में आए हैं, जिन्होंने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए इब्राहिम रईसी की जगह ली है।


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