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ट्रंप ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन हटाया, बड़ा नुकसान कर सकती है छोटी सी चीज

डॉनल्ड ट्रंप ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन हटाया

ट्रंप ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन हटाया, बड़ा नुकसान कर सकती है छोटी सी चीज
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक आदेश जारी कर देश में प्लास्टिक स्ट्रॉ पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है. उनका यह आदेश बड़ा नुकसान कर सकता है.

प्लास्टिक स्ट्रॉ भले ही छोटी चीज लगे, लेकिन यह पिछले दशक में पर्यावरण प्रदूषण का बड़ा प्रतीक बन चुका है. 10 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे में दखल दिया. उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर प्लास्टिक स्ट्रॉ पर लगी रोक हटा दी. ट्रंप ने कहा कि पेपर स्ट्रॉ "काम नहीं करती" और जल्दी खराब हो जाती है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना ठीक है," हालांकि इसे समुद्र और जलीय जीवों के लिए खतरनाक माना जाता है.

संरक्षण समूह 'टर्टल आइलैंड रेस्टोरेशन नेटवर्क' के मुताबिक, अमेरिका में हर दिन 39 करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक स्ट्रॉ इस्तेमाल होती हैं. ज्यादातर लोग इन्हें सिर्फ 30 मिनट या उससे भी कम समय के लिए इस्तेमाल करते हैं और फिर फेंक देते हैं. ये समुद्र और नदियों में पहुंचकर कचरा बढ़ाती हैं और समुद्री जीवों को नुकसान पहुंचाती हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक प्लास्टिक स्ट्रॉ इतनी छोटी होती हैं कि इन्हें रीसाइकल करना मुश्किल होता है. इन्हें खत्म होने में 200 साल तक लग सकते हैं. धीरे-धीरे ये टूटकर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाती हैं, जो इंसानों के शरीर में भी पहुंच सकता है. रिसर्च के मुताबिक, माइक्रोप्लास्टिक का संबंध दिल की बीमारियों, अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी दिक्कतों से हो सकता है.

ट्रंप का आदेश और आलोचना

ट्रंप के कार्यकारी आदेश में दावा किया गया कि पेपर स्ट्रॉ में कुछ ऐसे केमिकल होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. इसके अलावा, इन्हें बनाने में ज्यादा खर्च आता है. 2023 में बेल्जियम की यूनिवर्सिटी ऑफ एंटवर्प के शोधकर्ताओं ने पाया कि पेपर, बांस, ग्लास और प्लास्टिक स्ट्रॉ में 'PFAS' नामक हानिकारक केमिकल होते हैं, जबकि स्टील की स्ट्रॉ में ये नहीं पाए गए.

हालांकि, पर्यावरण संगठन 'बियॉन्ड प्लास्टिक्स' का कहना है कि सबसे सस्ता और अच्छा विकल्प है—स्ट्रॉ का इस्तेमाल ही न करना. इस संगठन की प्रमुख और अमेरिकी पर्यावरण एजेंसी की पूर्व अधिकारी, जूडिथ एंक ने ट्रंप के फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा, "इस पर मजाक करना या इसे नजरअंदाज करना आसान है. लेकिन यह वह मौका है जब आम लोग और सरकारें यह दिखा सकती हैं कि वे इस आदेश से सहमत नहीं हैं और प्लास्टिक स्ट्रॉ का कम से कम इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह मुश्किल काम नहीं है."

कई अमेरिकी शहरों और राज्यों में पहले ही प्लास्टिक स्ट्रॉ पर पाबंदी लग चुकी है. कई रेस्तरां भी अब ग्राहकों को खुद से ही स्ट्रॉ नहीं देते.

अमेरिका ने बदल लिया रुख

अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने 2027 तक फेडरल एजेंसियों में सिंगल-यूज प्लास्टिक, जिसमें स्ट्रॉ भी शामिल हैं, पर रोक लगाने का वादा किया था. 2035 तक इसे पूरी तरह खत्म करने की योजना थी.

यह कदम यह दिखाने के लिए था कि सरकार प्लास्टिक प्रदूषण को गंभीरता से ले रही है. 'वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड' की प्लास्टिक विशेषज्ञ एरिन साइमन ने कहा था कि अमेरिका का यह फैसला पूरी दुनिया को संदेश देता है कि अगर हम बड़े स्तर पर बदलाव कर सकते हैं, तो बाकी देश भी कर सकते हैं.

2024 में दुनिया के कई देश दक्षिण कोरिया में इकट्ठा हुए थे ताकि प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर सहमति बनाई जा सके. हालांकि, कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया. इस साल फिर बातचीत होगी.

शुरुआत में अमेरिका ने इंडस्ट्री-फ्रेंडली रुख अपनाया था और कहा था कि हर देश को अपने तरीके से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना चाहिए. लेकिन बाद में अमेरिका ने अपना रुख बदला और कहा कि प्लास्टिक उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक नियम होने चाहिए. 100 से ज्यादा देश इस समझौते के पक्ष में हैं, जिससे प्लास्टिक उत्पादन पर रोक लगे और सफाई और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा मिले.

ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिकी मैन्युफैक्चरर्स ने उन्हें बातचीत में बने रहने की अपील की, लेकिन वे चाहते हैं कि अमेरिका पुराने रुख पर लौटे, जिसमें प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल करने और रिसाइक्लिंग पर जोर दिया जाए.

कई देशों में बैन

दुनियाभर में कई देशों ने सिंगल-यूज प्लास्टिक पर सख्त नियम लागू किए हैं. यूरोपीय संघ ने 2021 में प्लास्टिक स्ट्रॉ, कटलरी, प्लेट्स और स्टायरोफोम कंटेनर पर प्रतिबंध लगा दिया. कनाडा ने 2023 में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ और कटलरी पर रोक लगाई. भारत ने 2022 में प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट और स्ट्रॉ समेत 19 तरह की सिंगल-यूज प्लास्टिक चीजों पर बैन लगाया.

केन्या ने 2017 में सबसे सख्त कानून लागू करते हुए प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी, नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा भी तय की गई. ऑस्ट्रेलिया के कई राज्यों ने धीरे-धीरे प्लास्टिक बैन लागू किया है, जबकि न्यूजीलैंड ने 2023 में छोटी प्लास्टिक चीजों पर सख्त पाबंदी लगाई. चीन ने भी 2020 में प्लास्टिक बैग और स्ट्रॉ को धीरे-धीरे खत्म करने की योजना बनाई, जिसमें 2025 तक बड़े बदलाव लाने का लक्ष्य है. इन कदमों का मकसद प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना और पर्यावरण को सुरक्षित बनाना है.

सिर्फ स्ट्रॉ ही नहीं, प्लास्टिक का पूरा संकट

समस्या सिर्फ प्लास्टिक स्ट्रॉ तक सीमित नहीं है. हर साल दुनिया में 40 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक बनाया जाता है. इसमें से 40 फीसदी सिर्फ पैकेजिंग में इस्तेमाल होता है.

2023 में 'ओशन कंजर्वेंसी' के वॉलंटियर्स ने अमेरिका के समुद्र तटों से 61,000 से ज्यादा प्लास्टिक स्ट्रॉ और स्टिरर (चम्मच जैसे हलचल करने वाले छोटे प्लास्टिक) इकट्ठे किए. इनके अलावा, समुद्र तटों पर सबसे ज्यादा सिगरेट के टुकड़े, प्लास्टिक बोतलें, बोतल के ढक्कन और खाने के रैपर मिले.

अधिकांश प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनाया जाता है. 2023 में हुए 'कॉप28' जलवायु सम्मेलन में यह तय किया गया कि दुनिया को जीवाश्म ईंधन से दूरी बनानी होगी और रिन्यूएबल एनर्जी के इस्तेमाल को तीन गुना बढ़ाना होगा.

जैसे-जैसे तेल और गैस के इस्तेमाल पर रोक की मांग बढ़ी है, तेल कंपनियां प्लास्टिक के उत्पादन को नया बाजार मान रही हैं. ट्रंप खुले तौर पर तेल और गैस उद्योग का समर्थन करते हैं और इनसे समर्थन भी पाते हैं.


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