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स्वीडन में अब तक की सबसे घातक गोलीबारी

स्वीडन में इतिहास की सबसे बड़ी गोलीबारी में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है. इसमें हमलावर बंदूकधारी भी शामिल है. मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है

स्वीडन में अब तक की सबसे घातक गोलीबारी
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स्वीडन में इतिहास की सबसे बड़ी गोलीबारी में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है. इसमें हमलावर बंदूकधारी भी शामिल है. मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है.

स्टॉकहोम के पश्चिम में एक वयस्क शिक्षा केंद्र में हुई यह गोलीबारी मंगलवार, 4 फरवरी को हुई. बुधवार सुबह तक ना तो बंदूकधारी की मंशा और ना ही घायलों की संख्या की जानकारी मिल सकी है. पुलिस ने यह भी नहीं बताया कि घायल किस अवस्था में हैं. स्थानीय पुलिस ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमलावर समेत 11 लोगों की मौत हुई है."

कैंपस रिसबेर्ग्का में 20 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिक और उच्च विद्यालय की शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा यहां आप्रवासियों के लिए स्वीडिश भाषा की कक्षा, वोकेशनल ट्रेनिंग और बौद्धिक रूप से कमजोर लोगों के लिए खास कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. यह ओरेब्रो शहर के बाहरी हिस्से मैं है जो स्टॉकहोम के पश्चिम में करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है.

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न्याय मंत्री गुन्नार स्टोएर्मर ने इस गोलीबारी को, "ऐसी घटना जिसने हमारे पूरे समाज की जड़ें हिला दीं," कहा है. मंगलवार दोपहर को गोलीबारी तब शुरू हुई जब बहुत से छात्र राष्ट्रीय परीक्षा के बाद घर जा चुके थे. पास की इमारतों और स्कूल के दूसरे हिस्सों में रह रहे छात्रों को गोलीबारी के बाद वहां से हटाया गया है.

बढ़ सकती है हताहतों की संख्या

स्वीडन जहां इस घटना से उबरने में लगा है वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या का पता लगाना मुश्किल साबित हो रहा है.

दक्षिणी ओरेब्रो क्षेत्र ने बस इतना कहा है कि गोलीबारी में घायल छह लोगों को अस्पताल ले जाया गया है. कई मीडिया संस्थानों ने खबर दी है कि संदिग्ध बंदूकधारी ने खुद को गोली मार ली, लेकिन पुलिस ने इन खबरों की पुष्टि नहीं की है. पुलिस ने मरने वालों की पहचान और उनकी उम्र के बारे में भी जानकारी नहीं दी है. अब तक यह भी नहीं बताया गया है कि क्या वो स्कूल के छात्र थे या टीचर या कोई और.

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अधिकारी घटना में हताहत हुए लोगों की पहचान करने में जुटे हैं. पुलिस का कहना है कि इनकी संख्या बढ़ सकती है. स्थानीय पुलिस प्रमुख रॉबर्टो एड फोरेस्ट ने पत्रकारों को बताया कि संदिग्ध बंदूकधारी भी मारे गए लोगों में शामिल है. इस घटना को लेकर पहले कोई चेतावनी नहीं दी गई थी. पुलिस का यह भी मानना है कि हमलावर ने अकेले ही इस घटना को अंजाम दिया है.

पुलिस ने यह नहीं कहा है कि हमलावर स्कूल का छात्र था. पुलिस ने इस घटना के पीछे संभावित मंशा के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी है. अधिकारियों ने यह जरूर कहा है कि इस घटना का आतंकवाद से कोई रिश्ता फिलहाल वह नहीं देख सके हैं.

हमलावर के बारे में क्या पता चला

पुलिस ने संदिग्ध के घर पर घटना के बाद छापा मारा. हालांकि वहां से उन्हें क्या मिला इसकी जानकारी नहीं दी गई है. स्वीडन के एक अखबार ने हमलावर के परिवार से बातचीत के बाद बताया है कि वह बेरोजगार था और अकेला रहता था. उसने परिवार और दोस्तों से संपर्क खत्म कर लिया था. स्वीडन के टीवी चैनल टीवी4 ने बताया है कि हमलावर 35 साल का था और उसके पास बंदूक रखने का लाइसेंस था.

ओरेब्रो के पुलिस प्रमुख ने पत्रकारों से कहा, "हमलावर को पुलिस नहीं जानती थी, वह किसी गैंग से भी नहीं जुड़ा था. हमारा मानना है कि अब और हमले नहीं होंगे."

प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टेरसन ने मंगलवार शाम पत्रकारों से कहा, "आज हमने बिल्कुल निर्दोष लोगों के खिलाफ एक क्रूर, घातक हिंसा देखी है. स्वीडन के इतिहास की यह सबसे भयानक गोलीबारी है. बहुत से सवालों के जवाब नहीं मिले हैं और मैं भी उनका उत्तर नहीं दे सकता. हालांकि समय आएगा जब सब जानेंगे कि क्या हुआ था, कैसे हुआ था और इसके पीछे मंशा क्या थी. इस समय हमें अंदाजा नहीं लगाना चाहिए."

स्कूल में गोलीबारी दुर्लभ है स्वीडन में

स्वीडन के स्कूलों में गोलीबारी की घटना अत्यंत दुर्लभ है. हालांकि हाल के वर्षों में वहां कई बार चाकू या कुल्हाड़ी जैसे हथियारों से लोगों पर कई हमले हुए हैं. इन हमलों में लोग घायल हुए हैं, और मौतें भी हुई हैं.

मार्च 2022 में 18 साल के एक छात्र ने दो टीचरों को चाकू मार दिया था. यह घटना माल्मो के एक सेकेंड्री स्कूल में हुई थी. दोनों टीचरों की मौत हो गई थी.

इसके दो महीने पहले 16 साल के एक छात्र को दूसरे छात्र और एक टीचर को चाकू से घायल करने के बाद गिरफ्तार किया गया था. यह घटना क्रिस्टियानस्टाड नाम के एक छोटे से कस्बे में हुई थी.

इससे पहले अक्टूबर 2015 में पश्चिमी हिस्से में मौजूद ट्रॉलहट्टन टाउन में तीन लोगों की नस्लभेदी हमले में जान गई थी. इस घटना में तलवार से हमला करने वाला शख्स को बाद में पुलिस ने मार दिया था.

इसके अलावा आपराधिक गुटों की हिंसा में भी दर्जनों लोगों की मौत हर साल होती रही है.


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