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परमाणु अप्रसार संधि की समकालीन भूमिका को निभाने की वकालत करता है चीन

चीनी विदेश मंत्रालय के शस्त्र नियंत्रण विभाग के महानिदेशक सुन श्याओपो ने परमाणु हथियारों की अप्रसार संधि के 11वें समीक्षा सम्मेलन की तीसरी तैयारी बैठक के दौरान कहा कि इस वर्ष जापानी आक्रमण के खिलाफ चीनी जनता के प्रतिरोध युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की जीत की 80वीं वर्षगांठ है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ भी है

परमाणु अप्रसार संधि की समकालीन भूमिका को निभाने की वकालत करता है चीन
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बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय के शस्त्र नियंत्रण विभाग के महानिदेशक सुन श्याओपो ने परमाणु हथियारों की अप्रसार संधि के 11वें समीक्षा सम्मेलन की तीसरी तैयारी बैठक के दौरान कहा कि इस वर्ष जापानी आक्रमण के खिलाफ चीनी जनता के प्रतिरोध युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की जीत की 80वीं वर्षगांठ है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ भी है।

वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार प्रणाली की आधारशिला के रूप में इस संधि की प्रतिष्ठा अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है। चीन शांति और विकास के लिए संधि की समकालीन भूमिका को पूर्ण रूप से निभाने तथा संधि के अधिकार, प्रभावशीलता और सार्वभौमिकता को कायम रखने का समर्थन करता है।

सुन श्याओपो ने कहा कि अमेरिका ताकत को सबसे ऊपर मानता है और अपने देश को सबसे पहले रखता है, तथा मनमाने टैरिफ और प्रतिबंधों का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे संयुक्त राष्ट्र से केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को गंभीर रूप से कमजोर किया जा रहा है। कुछ देश छोटे-छोटे समूह बनाकर पूर्ण सैन्य बढ़त का अनुसरण करते हैं और अपने परमाणु बलों को उन्नत करने के लिए भारी मात्रा में धन खर्च कर रहे हैं तथा अपने "परमाणु गठबंधनों" को मजबूत कर रहे हैं। उपर्युक्त नकारात्मक प्रवृत्तियां प्रमुख देशों के बीच आपसी विश्वास को नुकसान पहुंचाती हैं, परमाणु हथियारों की दौड़ और परमाणु संघर्ष के जोखिमों को बढ़ाती हैं, अंतर्राष्ट्रीय सामरिक सुरक्षा वातावरण को खराब करती हैं और वैश्विक सामरिक संतुलन और स्थिरता को कमजोर करती हैं।

सुन श्याओपो ने इस बात पर जोर दिया कि चीन सच्चे बहुपक्षवाद के अभ्यास का आह्वान करता है और दुनिया को कभी भी जंगल कानून की ओर वापस नहीं जाने देगा। स्थायी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सैन्य गठबंधनों द्वारा हथियारों के संचय पर आधारित नहीं हो सकती, न ही इसे निवारण या रणनीतिक बढ़त के खस्ते संतुलन द्वारा कायम रखा जा सकता है।


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