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2.3 करोड़ सिम बदलने की तैयारी में दक्षिण कोरियाई कंपनी

दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी हैकिंग का शिकार हुई है. उसके ग्राहकों की निजी जानकारियां लीक हुई हैं. अब वह करोड़ों सिम कार्ड बदलने की शुरुआत कर रही है

2.3 करोड़ सिम बदलने की तैयारी में दक्षिण कोरियाई कंपनी
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दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी हैकिंग का शिकार हुई है. उसके ग्राहकों की निजी जानकारियां लीक हुई हैं. अब वह करोड़ों सिम कार्ड बदलने की शुरुआत कर रही है.

एसके टेलिकॉम, दक्षिण कोरिया में मोबाइल सर्विस देने वाली सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी है. सोमवार (28 अप्रैल) को कंपनी ने एलान किया कि वह 2.3 करोड़ यूजर्स के यूसिम (यूनिवर्सल सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल) बदलेगी. कंपनी ने इसी महीने की शुरुआत में बताया कि हैकिंग के कारण उसके ग्राहकों की निजी जानकारियों से समझौता हुआ है. एसके टेलिकॉम के मुताबिक, हैकिंग कोडों के जरिए की गई.

इस घटना के बाद दक्षिण कोरिया की सरकार ने पूरे देश के डेटा प्रोटेक्शन सिस्टम की समीक्षा का आदेश दिया है. एसके टेलिकॉम ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है. 28 अप्रैल को एक प्रेस विज्ञप्ति में कंपनी ने कहा, "सोमवार सुबह 10 बजे से, हम मुफ्त में उन लोगों की यूसिम चिप्स बदलेंगे जो ये चाहते हैं. ऐसा देश भर में 2,600 स्टोर्स के जरिए किया जाएगा."

हालांकि, कंपनी ने यह भी स्वीकार किया कि उसके पास रिप्लेसमेंट के लिए फिलहाल पांच फीसदी नए सिम ही उपलब्ध हैं. मई अंत तक 50 लाख नए सिम हासिल करने का दावा किया गया है. हैकरों का अभी तक पता नहीं चला है. वैसे दक्षिण कोरिया अक्सर उत्तर कोरिया पर साइबर हमले करने का आरोप लगाता है.

सिम असल में है क्या

सिम (SIM) का मतलब है, सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल. कार्डनुमा इस छोटी सी चिप में यूजर की पहचान के लिए जरूरी सारी जानकारी दर्ज रहती है. सिम से ही हर यूजर को एक खास फोन नंबर मिलता है, जिसके जरिए कॉल, मैसेज और डेटा का एक्सचेंज होता है. सिम डालने पर किसी भी अनलॉक्ड फोन को इस्तेमाल किया जा सकता है.

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असल में हर सिम कार्ड का 17 अंकों वाला एक खास कोड होता है. इस कोड में देश, सर्विस प्रोवाइडर और यूनीक यूजर आईडी की जानकारी होती है. इसके साथ ही कार्ड में पर्सनल आइडेंटिटी नंबर (PIN) और पर्सनल अनब्लॉकिंग की (PUK) नाम के दो पासवर्ड भी होते हैं.

सिम कार्ड में आमतौर पर 256 किलोबाइट (KB) स्टोरेज होता है. इतने स्टोरेज में 250 कॉन्टैक्ट्स सेव किए जा सकते हैं. यही वजह है कि स्मार्टफोन से पहले के दौर वाले मोबाइल फोनों में सिम स्टोरेज और फोन स्टोरेज का विकल्प मिलता था. स्मार्टफोनों में अब नंबर, फोन मेमोरी में ही स्टोर होते हैं.

कैसे हैक होते हैं सिम कार्ड

सिम कार्ड को हैक करने के लिए हैकर कुछ खास तरीके अपनाते हैं. इनमें से सबसे आम है, सिमजैकिंग. इसके तहत SMS या किसी लिंक के जरिए कोड भेजा जाता है. कोड पर क्लिक करते ही फोन पिन मांगता है. पिन कंफर्म होते ही सिम कार्ड में मौजूद पर्सनल आइडेंटिफिएबल इंफॉर्मेशन (PII) लीक हो जाती है.

PII में यूजर का पूरा नाम, पता, जियोलोकेशन, आईपी पता, फोन नंबर, जन्मतिथि जैसी इंफॉर्मेशन होती है. सिम कार्ड हैक करने वाले यूजर की फोन कॉल्स और उसके टेक्स्ट मैसेजों की आराम से निगरानी कर सकते हैं. सिम हैकिंग से ईमेल, फोन बैंकिंग और सोशल मीडिया अकाउंट्स की एक्सेस भी मिल सकती है.

सिम हैकिंग के दूसरे तरीके हैं; सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग. सिम स्वैपिंग में संदिग्ध लोग, ललचाने वाले विज्ञापनों के जरिए सिम अपग्रेड करने या बदलने का ऑफर देते हैं. नया सिम पहले से हैक रहता है. क्लोनिंग में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सिम कार्ड की नकली कॉपी तैयार की जाती है. लेकिन क्लोनिंग के लिए कॉपी किए जाने वाले असली सिम कार्ड की जरूरत पड़ती है.

सिम कार्ड हैक होने के संकेत

साइबर सिक्योरिटी जोखिमों के खिलाफ सर्विस देने वाली कंपनी 'अपगार्ड' के मुताबिक, अपने ही फोन अकाउंट की एक्सेस न मिलना, सिम हैकिंग का स्पष्ट संकेत है. हैकिंग के बाद हैकर कुछ अकाउंट्स बदल सकते हैं, जिसके चलते ये एक्सेस मुश्किल हो जाती है.

"फाईंड माय फोन" का इस्तेमाल करने पर फोन की गलत जियोलोकेशन मिलना भी सिम हैकिंग का मजबूत संकेत है. इस दौरान उस जगह की लोकेशन भी मिलती है, जिसका इस्तेमाल हैकर कर रहे होते हैं. कोई कॉल या टेक्स्ट मैसेज न मिलना या फिर फोन रिस्टार्ट करने की मैसेज मिलना भी संदेह पैदा करने के लिए पर्याप्त है.

सिम हैकिंग से कैसे हो बचाव

फोन हैक या सिम हैक होने का संदेह होने पर अपने सर्विस प्रोवाइडर से अपनी गतिविधियों का ब्योरा मांगा जा सकता है. हो सकता है कि इस डिटेल में डेटा यूज या एक्टिविटी यूज के संदिग्ध मामले दिखाई पड़ें.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हैकिंग का शक होने पर अपने सिम ब्लॉक करा कर, सर्विस प्रोवाइडर से नया सिम कार्ड लेना चाहिए.

बचाव का सबसे आसान तरीका है किसी भी संदिग्ध या अनजाने लिंक पर क्लिक न करना. इसके साथ ही स्मार्टफोन की रिपेयरिंग बेहद भरोसमंद जगह पर ही करवाना और रिपयेर के बाद अच्छे से फोन की जांच करना भी मददगार हो सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, डबल या टू-स्टेप ऑथेंटिफिकेशन भी फोन में मौजूद संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा करता है


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