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एक अरब लोग अत्यधिक गरीब, सबसे ज्यादा भारत में

दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं. इनमें आधे से ज्यादा बच्चे हैं

एक अरब लोग अत्यधिक गरीब, सबसे ज्यादा भारत में
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दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं. इनमें आधे से ज्यादा बच्चे हैं और लगभग 40 फीसदी ऐसे हैं जो युद्धों या अन्य आपदाओं से जूझ रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि एक अरब से ज्यादा लोग अमानवीय हालात में जी रहे हैं. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ‘ऑक्सफर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव‘ ने तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 83 फीसदी से ज्यादा गरीब लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और लगभग इतने ही लोग सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं.

यूएनडीपी और ऑक्सफर्ड 2010 से मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) जारी कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर सहित 10 संकेतकों का इस्तेमाल करता है. इस साल का इंडेक्स 112 देशों के 6.3 अरब लोगों की जनसंख्या के आंकड़ों को शामिल करता है.

इंडेक्स के अनुसार, 1.1 अरब लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं, जिनमें से आधे से अधिक पांच देशों में रहते हैं: भारत में 23.4 करोड़, पाकिस्तान में 9.3 करोड़, इथियोपिया में 8.6 करोड़, नाइजीरिया में 7.4 करोड़ और कांगो में 6.6 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीने को मजबूर हैं.

गरीबी में रहने वाले लोगों में से आधे से अधिक यानी लगभग 58.4 करोड़ ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 साल से कम है. इनमें 31.7 करोड़ सब-सहारा अफ्रीका और 18.4 करोड़ दक्षिण एशिया में हैं. अफगानिस्तान में, जहां गरीबी बढ़ रही है, गरीब बच्चों की संख्या और भी ज्यादा है. वहां लगभग 59 फीसदी लोग गरीबी में जी रहे हैं. पिछले साल आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एशिया में भूख अभी भी सबसे बड़ी समस्या है.

युद्ध और गरीबी

यूएनडीपी और ऑक्सफर्ड ने कहा कि इस साल की रिपोर्ट में युद्धों के बीच रह रहे गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया गया है क्योंकि 2023 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे ज्यादा युद्ध हुए हैं और 11.7 करोड़ लोग युद्ध, आपदाओं और अन्य कारणों से अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं. यह संख्या 2022 से ज्यादा है जब 10 करोड़ लोग विस्थापितहुए थे.

यूएनडीपी की मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने वाले कार्यालय के निदेशक पेड्रो कॉन्सेसाओ ने कहा, "पहली बार संघर्ष के आंकड़ों को वैश्विक एमपीआई डेटा के साथ जोड़ते हुए, रिपोर्ट उन कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती है जिनका सामना एक साथ संघर्ष और गरीबी झेलने वालों को करना पड़ रहा है.”

उन्होंने एक बयान में कहा, "शांत इलाकों में रहने वाले गरीबों की तुलना में, वे 45.5 करोड़ लोग, जो गरीबी के कई संकेतकों पर मानकों से नीचे का जीवन जी रहे हैं और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में रहते हैं, पोषण, पानी और स्वच्छता, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के मामले में तीन से पांच गुना ज्यादा कठोर मुश्किलों का सामना करते हैं."

केंद्रित निवेश की जरूरत

ऑक्सफर्ड इनिशिएटिव की निदेशक सबीना अलकायर ने कहा कि युद्ध-मुक्त इलाकों में गरीबी को कम करना आसान है, लेकिन इन 45.5 करोड़ों लोगों के लिए बहुत मुश्किल है, जो गरीब होने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी चिंतित हैं.

अलकायर ने कहा कि एमपीआई यह दिखा सकता है कि कौन से क्षेत्र सबसे गरीब हैं, ताकि गरीबी विरोधी प्रयासों को उन पर केंद्रित किया जा सके. उदाहरण के लिए, बुर्किना फासो में, जहां एक सैन्य जुंटा शासन करता है और उग्रवादियों के हमले बढ़ रहे हैं, लगभग दो-तिहाई आबादी गरीब है.

एमपीआई यह दिखाता है कि पश्चिमी अफ्रीका के इस देश के विभिन्न क्षेत्रों में गरीबी 21 फीसदी से 88 फीसदी तक है और स्कूलों में हाजरी, पोषण और शिक्षा में कमी गरीबी में सबसे अधिक योगदान करती है.

अलकायर ने कहा कि इससे गरीबी उन्मूलन के लिए धन और निवेश को सबसे जरूरतमंद जगहों पर केंद्रित करने में मदद मिलती है, "जिससे पैसे की बचत होती है और प्रभाव बढ़ता है."


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