ओम बिरला के प्रयास सफल : लोकसभा पूरी तरह डिजिटल फॉर्म में
लोकसभा, जो हमारी संसद का निचला तथा जनप्रिय सदन है, देश के विशाल और विविध जनसमूह की आशाओं एवं आकांक्षाओं की प्रतीक है। यह वह महत्वपूर्ण मंच है जहाँ जनप्रतिनिधि 140 करोड़ से अधिक नागरिकों की भावनाओं को स्वर देते हैं और जटिल राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान हेतु विमर्श करते हैं

नई दिल्ली: लोकसभा, जो हमारी संसद का निचला तथा जनप्रिय सदन है, देश के विशाल और विविध जनसमूह की आशाओं एवं आकांक्षाओं की प्रतीक है। यह वह महत्वपूर्ण मंच है जहाँ जनप्रतिनिधि 140 करोड़ से अधिक नागरिकों की भावनाओं को स्वर देते हैं और जटिल राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान हेतु विमर्श करते हैं। समय के साथ यह सदन नागरिकों के अधिकारों और उनकी गरिमा की रक्षा करने वाली एक सशक्त एवं विश्वसनीय संस्था के रूप में सुदृढ़ हुआ है। अब जब यह 21 जुलाई को अपने पाँचवें सत्र की तैयारी कर रहा है, तो यह उपयुक्त अवसर है कि हम बीते वर्ष में इसकी कार्यप्रणाली एवं उपलब्धियों की समीक्षा करें।
2024 के आम चुनावों के बाद गठित अठारहवीं लोक सभा के चार सत्रों में न केवल विधायी कामकाज में दक्षता आई है, बल्कि संसद में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार भी हुआ । भारत का लोकतंत्र केवल चुनावों के सफल आयोजन और चर्चा – संवाद से ही नहीं, बल्कि समय के साथ विधायी संस्थाओं के रूपांतरण और विकास से भी मजबूत हुआ है। इसी दिशा में पिछले एक वर्ष में लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला की पहल पर लोक सभा ने जो डिजिटल कदम उठाए हैं, वे न केवल संसद की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन का संकेत हैं, बल्कि आने वाले समय में एक स्मार्ट, पारदर्शी और समावेशी संसद का आधार भी हैं।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, जिन्होंने 26 जून 2024 को पद ग्रहण किया, के नेतृत्व में पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय डिजिटल पहल ली गई हैं। डिजिटल संसद प्रोजेक्ट 2.0 इस परिवर्तन का सबसे उज्जवल उदाहरण है। यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जिसका उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और सुलभता को सुनिश्चित करते हुए, संसद को एक 'स्मार्ट संस्थान' बनाना है। इसका लक्ष्य न केवल प्रक्रियाओं में दक्षता लाना है, बल्कि सांसदों, अधिकारियों व कर्मचारियों और लोगों के बीच डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देना भी है। इस डिजिटल रूपांतरण में संसद के संसाधनों के डिजिटलीकरण पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। सितंबर 2024 से फरवरी 2025 तक, लगभग 8,000 घंटे की ऐतिहासिक ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को नए डिजिटल स्वरूप में बदला जा रहा है। इसमें संसद की पुरानी कार्यवाहियों, दस्तावेजों और प्रकाशनों का संरक्षण कर उन्हें आम नागरिकों के लिए सुलभ बनाया जा रहा है । ऐसा करके न केवल संसदीय इतिहास का संरक्षण किया जा रहा है, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता को एक नई परिभाषा दी जा रही है। तकनीक के साथ इस जुड़ाव को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई-आधारित सर्च प्रणाली भी शुरू की गई है। संसद की वीडियो लाइब्रेरी अब इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी भी शब्द या विषय को खोजने पर कोई भी सीधे संबंधित वीडियो तक पहुँच सकता है। यह सर्च प्रणाली न केवल बोली गई भाषा को पहचानती है, बल्कि इसके संदर्भ और अन्य भाषाओं में बोले गए शब्दों को भी खोज सकती है।
संसद की कार्यशैली को आधुनिक बनाने के लिए श्री बिरला की पहल पर सांसदों की डिजिटल उपस्थिति प्रणाली भी शुरू की गई। अठारहवीं लोक सभा के तीसरे सत्र से सांसद अब इलेक्ट्रॉनिक टैब और डिजिटल पेन के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। इससे न केवल पेपरलेस कार्यप्रणाली को बल मिला है, बल्कि रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से उपस्थिति डेटा का तत्काल विश्लेषण भी संभव हुआ है।
इसके साथ ही, संसद के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए eHRMS प्रणाली लागू की गई है। इस मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से अवकाश, सेवा रिकॉर्ड और सेवानिवृत्ति जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं को स्वचालित और केंद्रीकृत बनाया गया है। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। पारंपरिक संसाधनों को आधुनिक स्वरूप देने की दिशा में संसद डिजिटल ग्रंथालय (PDL) एक बड़ी पहल है। इसके माध्यम से संसद से जुड़ी व्यापक जानकारी और शोध-सामग्री डिजिटल रूप में देश और दुनिया के लोगों तक पहुंचाई जा रही है। पारदर्शिता, सूचना की स्वतंत्रता और संसदीय अध्ययन में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई तकनीक ने सांसदों के दैनिक कार्यों को भी सरल बनाया है। पहले जहाँ नव-निर्वाचित सांसदों को 19 अलग-अलग फॉर्म भरने होते थे, अब उनके लिए एकीकृत मेंबर ऑनबोर्डिंग एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया से न केवल समय की बचत हुई है, बल्कि त्रुटियां भी कम हुई हैं ।
भारत जैसे बहुभाषी देश में संसद की कार्यसूची को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए एआई आधारित अनुवाद प्रणाली विकसित की गई है। अब संसद की कार्यसूची, प्रश्न सूची और बुलेटिन जैसे दस्तावेज़ों का अनुवाद संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं में स्वचालित रूप से किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में “संसद भाषिणी” नामक एक स्वदेशी एआई-संचालित अनुवाद टूल विकसित किया गया है, जिसके द्वारा संसदीय कार्यों से जुड़ी जानकारी विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराई जाएगी । इस टूल को डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत MeitY और अन्य तकनीकी संस्थानों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इस पहल से भाषा की बाधा को दूर करते हुए लोकतंत्र को और समावेशी बनाया जा रहा है।
भारत की संसद में हुए ये डिजिटल परिवर्तन केवल तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को आधुनिक संदर्भ में ढालने का प्रयास हैं। लोक सभा अध्यक्ष की ये पहलें न केवल संसदीय कार्यों को अधिक प्रभावी बना रही हैं, बल्कि लोगों को संसद से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भारत की संसद अब सिर्फ एक ऐतिहासिक संस्था नहीं रही बल्कि अब यह एक डिजिटल और भविष्य के लिए तैयार लोकतांत्रिक आदर्श संस्था बन रही है।