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सऊदी अरब: मोहम्मद बिन सलमान बने प्रधानमंत्री, शाही परिवार के सदस्यों को मिली अहम जिम्मेदारी

सऊदी अरब के शासक ने अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है.

सऊदी अरब: मोहम्मद बिन सलमान बने प्रधानमंत्री, शाही परिवार के सदस्यों को मिली अहम जिम्मेदारी
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सऊदी अरब के डी फैक्टो शासक माने जाने वाले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को उनके पिता किंग सलमान ने मंगलवार को एक शाही फरमान में देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. इससे पहले वे रक्षा मंत्री का पद संभाल रहे थे.

कैबिनेट बदलाव में किंग सलमान ने अपने दूसरे बेटे प्रिंस खालिद को उप रक्षा मंत्री से रक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त किया है. किंग सलमान ने अपने एक और बेटे प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान को ऊर्जा मंत्री के रूप में बरकरार रखा है.

शाही परिवार के एक अन्य सदस्य प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद को राजशाही में विदेश मंत्री के रूप में बरकरार रखा गया है. प्रिंस फैसल की पैदाइश जर्मनी में हुई थी.

सऊदी अरब जाने पर क्यों मजबूर हुए बाइडेन

किंग ही करेंगे कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता

वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान और निवेश मंत्री खालिद अल-फलीह अपने पद पर बने रहेंगे. दोनों का रिश्ता शाही परिवार से नहीं है. ताजा शाही फरमान के मुताबिक 86 वर्षीय किंग सलमान अभी भी सऊदी कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें वह आमतौर पर भाग लेते हैं.

इस ऐलान के बाद सऊदी अरब के सरकारी टीवी ने किंग सलमान को मंगलवार को कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिखाया. किंग सलमान ने 2015 में सत्ता संभाली थी, लेकिन उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती है और हाल के वर्षों में उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है.

एमबीएस की छवि सुधारने की कोशिश

क्राउन प्रिंस सलमान को एमबीएस के नाम से भी जाना जाता है, वह सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को बदलने के लिए देश की "विजन 2030" योजना में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में काम कर रहे हैं.

बीते सालों में उन्होंने महिलाओं को कुछ शर्तों के साथ कार चलाने की अनुमति देने जैसे सामाजिक सुधारों का भी प्रयास किया है.

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि सऊदी ने इस सुधार अभियान में केवल मामूली प्रगति की है और इसके उलट नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं, गैर-धार्मिक लोगों और राजशाही से असहमति व्यक्त करने वाले अन्य लोगों पर लगातार कार्रवाई हो रही है.

साल 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी के इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में लापता होने के बाद मोहम्मद बिन सलमान की छवि को गहरा झटका लगा था. बाद में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पाया कि संभवत: क्राउन प्रिंस ने ही उनकी हत्या को मंजूरी दी थी.

खशोगी की हत्या के बाद कई पश्चिमी देशों ने शुरू में खुद को सऊदी से दूर कर लिया, लेकिन फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के नेताओं ने हाल ही में मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत की. क्योंकि पश्चिमी देश जीवाश्म ईंधन के लिए रूस के विकल्प की तलाश कर रहे हैं.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बार कहा था कि वह खशोगी की हत्या पर सऊदी अरब को "अलग-थलग" कर देंगे, लेकिन उन्होंने देश का भी दौरा किया और क्राउन प्रिंस से मुलाकात की. उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक के साथ संबंधों के निरंतर महत्व को स्वीकार करते हुए ऐसा किया था.

पिछले हफ्ते ही जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स खाड़ी देशों के दौरे पर गए थे. वहां पर उन्होंने मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत की थी. उन्होंने वैकल्पिक गैस और तेल की सख्त आवश्यकता को देखते हुए सऊदी अरब में कठिन सवालों से परहेज किया, जिसके लिए उन्हें जर्मनी में आलोचना का भी सामना करना पड़ा. रूस पर ऊर्जा के लिये निर्भर नहीं रहेगा जर्मनी, यूएई से करार

शॉल्त्स ने जेद्दाह में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने और क्राउन प्रिंस ने "नागरिकों और मानवाधिकारों के इर्द-गिर्द घूमने वाले सभी सवालों पर चर्चा की."


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