Top
Begin typing your search above and press return to search.

व‍िधेयकों को लंब‍ित रखने के तमिलनाडु के राज्‍यपाल के कदम को असंवैधान‍िक बताना न्‍यायोच‍ित :: आदिश सी. अग्रवाल

तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आर.एन. रवि के बीच गतिरोध पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का न्यायविदों ने स्वागत किया है

व‍िधेयकों को लंब‍ित रखने के तमिलनाडु के राज्‍यपाल के कदम को असंवैधान‍िक बताना न्‍यायोच‍ित :: आदिश सी. अग्रवाल
X

नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आर.एन. रवि के बीच गतिरोध पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का न्यायविदों ने स्वागत किया है। राज्‍य व‍िधानसभा द्वारा पार‍ित 10 व‍िधेयकों को राष्‍ट्रपत‍ि की मंजूरी के ल‍िए रखने के राज्‍यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आदिश सी. अग्रवाल ने कहा, "मुझे लगता है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तमिलनाडु मामले में लिया गया फैसला सुप्रीम कोर्ट का अतिक्रमण नहीं है, क्योंकि यह पंजाब राज्य बनाम पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव के 2023 के मामले में दिए गए फैसले पर आधारित है।"

उन्होंने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए निर्णय लेने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। हालांकि, पंजाब मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए निर्णय लेने के लिए एक विशिष्ट समय निर्धारित किया है।" तमिलनाडु में व्याप्त अनूठी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिए गए फैसले में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा 2020 से रोके गए 10 विधेयक अब स्वत ही कानून बन गए हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा, "राज्य विधानमंडल द्वारा दस विधेयक पारित किए गए और राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजे गए। लेक‍िन, उन्होंने बिना कोई कार्रवाई किए एक साल से अधिक समय तक उन्हें रोके रखा।"

हालांकि, अग्रवाल ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल को अब एक बड़ी पीठ के समक्ष फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए और दावा करना चाहिए कि उन्हें निर्धारित समय सीमा के तहत इन विधेयकों पर अपनी सहमति देने का मौका नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा, "मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट को पहले राज्यपाल को अपनी सहमति देने का विकल्प देना चाहिए था, बजाय इसके कि सीधे तौर पर सहमति का आदेश पारित किया जाए।"

एक अन्य संवैधानिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने मामले में तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि तमिलनाडु में व्याप्त अनूठी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसला दिया गया था। द्विवेदी ने कहा, "राज्य विधानमंडल द्वारा दस विधेयक पारित किए गए और राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजे गए। लेक‍िन उन्होंने बिना कोई कार्रवाई किए एक साल से अधिक समय तक उन्हें रोके रखा।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it