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आईएईए हमारे परमाणु स्थलों पर मंडरा रहे खतरों पर रुख करे स्पष्ट : ईरानी विदेश मंत्री

ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) से अपने देश की 'शांतिपूर्ण परमाणु फैसिलिटी' पर मंडरा रहे खतरे को लेकर रुख स्पष्ट करने को कहा

आईएईए हमारे परमाणु स्थलों पर मंडरा रहे खतरों पर रुख करे स्पष्ट : ईरानी विदेश मंत्री
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तेहरान। ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) से अपने देश की 'शांतिपूर्ण परमाणु फैसिलिटी' पर मंडरा रहे खतरे को लेकर रुख स्पष्ट करने को कहा।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने यह बयान मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी से फोन पर बातचीत के दौरान दिया।

उन्होंने यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रविवार को दी गई उस धमकी के संदर्भ में की, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर वाशिंगटन के साथ समझौता नहीं करता, तो वह ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी कर देंगे।

अराघची ने एजेंसी के साथ ईरान की बातचीत और सहयोग की नीति के बारे में बताया और कहा कि जब तक ईरान के खिलाफ खतरे बने रहते हैं, उनका देश अपने परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।

उन्होंने ग्रॉसी को ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और कूटनीतिक चर्चा से जुड़ी ताजा घटनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

आईएईए प्रमुख ने कहा कि वह मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए एक अच्छे माहौल को बनाने के लिए दूसरे पक्षों से चर्चा करेंगे।

ग्रॉसी ने ईरान यात्रा करने की इच्छा जताई, जिस पर ईरानी विदेश मंत्री ने सहमति जताई।

ट्रंप ने रविवार को एनबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने से इनकार करता है, तो वह उस पर " जबरदस्त सैन्य हमले" करेंगे।

उन्होंने कहा, "अगर वे समझौता नहीं करते, तो ऐसी बमबारी होगी जिसे उन्होंने कभी नहीं देखा होगा।" उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिकी और ईरानी अधिकारी "बातचीत" कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में कोई और जानकारी नहीं दी।

यह टिप्पणी उस पत्र के बाद आई है, जिसके बारे में ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने मार्च के शुरू में संयुक्त अरब अमीरात के जरिए ईरानी नेताओं को एक पत्र भेजा था, जिसमें तेहरान की परमाणु गतिविधियों पर सीधे बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था।

इसके जवाब में तेहरान ने सीधे बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन अप्रत्यक्ष बातचीत की संभावना को खुला रखा।


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