अपराध, मतदाता सूची पर बिहार विधानसभा का सत्र बुलाए सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार में जब भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)सरकार में शामिल होती है तो अपराध की घटनाएं एकदम बढ़ने लगती हैं और इस बार भी इसी तरह का ‘गुंडाराज’ चल रहा है

नई दिल्ली। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार में जब भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)सरकार में शामिल होती है तो अपराध की घटनाएं एकदम बढ़ने लगती हैं और इस बार भी इसी तरह का ‘गुंडाराज’ चल रहा है इसलिए राज्यपाल को बढ़ते अपराध तथा मतदाता सूची पुनरीक्षण के कारण लोगों को हो रही समस्याओं पर विचार-विमर्श के लिए तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए।
कांग्रेस ने कहा कि बिहार में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, पुलिसकर्मियों की हत्या की जा रही है लेकिन अपराधी पकड़ से बाहर हैं। अकेले पटना में इस वर्ष हत्या की 116 और दुष्कर्म की 41 घटनाएं हुई हैं। पुलिस आंकड़ों के अनुसार 151 दिन में पुलिस पर 1297 बार हमले हुए हैं।
सिंह ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार बिहार में वर्ष 2005 में एक लाख सात हजार 664 अपराध की घटनाएं हुई थीं जबकि वर्ष 2022 में यह तीन 47 हजार थीं। हत्याओं और हत्या के प्रयास के मामले में बिहार देश में दूसरे नम्बर है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के शासन के दौरान 17 वर्षों में 53 हजार से ज्यादा हत्याएं हुई हैं। बिहार में जघन्य अपराध 226 प्रतिशत बढ़े हैं जबकि महिलाओं के साथ अपराध में 336 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक लाख से अधिक मामले अदालतों में लम्बित हैं। दलित उत्पीड़न के मामले में भी बिहार दूसरे स्थान पर है।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य एक माह से कम समय में संभव ही नहीं है। बिहार में आठ करोड़ मतदाता हैं और उनके बीच सघन मतदाता पुनरीक्षण का काम कठिन है और इस स्थिति में बड़ी संख्या में मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। उनका यह भी कहना था कि यदि सरकार उनकी मांग पर विचार नहीं करती है और सूची पुनरीक्षण का काम जारी रखती है तो इसके खिलाफ न्यायालय जाने के साथ ही सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने का भी विकल्प मौजूद है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सिर्फ 25 दिन में यह काम हो नहीं सकता है।यह काम असंभव है। अगर सही समय पर चुनाव होना है तो चुनाव आयोग को सरकार की कठपुतली बनने की बजाए इस फैसले को वापस लेना चाहिए।