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संसद में एक नस्लवाद विरोधी विधेयक पेश करें केंद्र सरकार : त्रिपुरा कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन

कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं त्रिपुरा के विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने केंद्र सरकार से संसद में तत्काल एक नस्लवाद विरोधी विधेयक पेश करने की मांग की है, ताकि पूर्वोत्तर भारत के लोगों को देश के अन्य हिस्सों में नस्लीय भेदभाव और हमलों से सुरक्षा मिल सके

संसद में एक नस्लवाद विरोधी विधेयक पेश करें केंद्र सरकार : त्रिपुरा कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन
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त्रिपुरा में कांग्रेस विधायक ने नस्लवाद विरोधी विधेयक और पाठ्यक्रम में सुधार की मांग की

अगरतला। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं त्रिपुरा के विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने केंद्र सरकार से संसद में तत्काल एक नस्लवाद विरोधी विधेयक पेश करने की मांग की है, ताकि पूर्वोत्तर भारत के लोगों को देश के अन्य हिस्सों में नस्लीय भेदभाव और हमलों से सुरक्षा मिल सके।

बर्मन ने एंजेल चकमा के लिए न्याय की मांग करते हुए यहां मौन विरोध रैली का नेतृत्व किया, जिनकी गत नाै दिसंबर को देहरादून में नस्लीय हमले के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। उन्होंने कहा कि मध्य भारत में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं और राष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने जोर दिया कि स्वतंत्रता के 79 साल बाद भी देश के कई लोगों में पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में अज्ञानता बहुत चिंताजनक है।

उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर के युवाओं को अक्सर बड़े शहरों में उनकी शक्ल-सूरत के कारण चीनी या बंगलादेशी समझ लिया जाता है, क्योंकि लोगों को भारतीय भूगोल की जानकारी नहीं है और क्षेत्र के प्रति अलगाव की भावना बनी हुई है। इसके विपरीत पूर्वोत्तर के बच्चे पूरे देश के स्थानों और विवरणों से अच्छी तरह परिचित होते हैं, जो शिक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है।

उन्होंने सरकार से अपील की कि मुख्य भूमि के भारतीयों की सोच बदलने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में पूर्वोत्तर भारत के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल की जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्षेत्रीय विकास और 'अष्टलक्ष्मी' पर जोर देने का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षा ही सम्मान और समझ विकसित करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।

उन्होंने हाल की घटना के पीड़ित के लिए न्याय की मांग की और नस्लीय हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता बताई। उन्होंने इस घटना को नस्लीय पूर्वाग्रह से प्रेरित घृणा अपराध करार दिया और कहा कि तिप्रासा, नागा, सिक्किमी, बंगाली या अरुणाचली-पूर्वोत्तर के लोग भारत की विविधता का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने जोर दिया कि इन लोगों को देश में कहीं भी रहने, अपनी भाषा बोलने, अपनी संस्कृति निभाने और हिंदी या किसी खास स्टीरियोटाइप में ढलने के दबाव के बिना जीने का पूरा अधिकार है।

बर्मन ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस पूरे देश में नफरत फैला रहे हैं और ऐसी घटनाएं विभाजनकारी राजनीति का सीधा परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि बंगाली या अन्य क्षेत्रीय भाषाएं बोलने वालों को इन समूहों के समर्थकों द्वारा अक्सर बंगलादेशी कहकर परेशान किया जाता है, जो ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह गलत है। भारत की ताकत उसकी 'एकता में विविधता' में है, लेकिन भाजपा और आरएसएस इस मूल सिद्धांत को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने शारीरिक बनावट, भाषा, खान-पान और सांस्कृतिक प्रथाओं के आधार पर लोगों को हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया। उन्होंने चिंता जताई कि यह सोच अब युवा पीढ़ी में भी फैल रही है और अब वे अपने ही समुदाय के युवा लड़के-लड़कियों को निशाना बना रहे हैं।

उन्होंने उत्तराखंड पुलिस की भी कड़ी आलोचना की कि भाजपा राज्य और केंद्र दोनों में सत्ता में होने के बावजूद मुख्य दोषी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे की तत्काल आवश्यकता बताई।


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