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बर्थडे स्पेशल : 19 वर्ष की उम्र में स्क्वैश के राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे रित्विक भट्टाचार्य

भारत के सर्वश्रेष्ठ स्क्वैश खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले रित्विक भट्टाचार्य का जन्म 14 अक्टूबर,1979 को वेनेजुएला में हुआ था

बर्थडे स्पेशल : 19 वर्ष की उम्र में स्क्वैश के राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे रित्विक भट्टाचार्य
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नई दिल्ली। भारत के सर्वश्रेष्ठ स्क्वैश खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले रित्विक भट्टाचार्य का जन्म 14 अक्टूबर,1979 को वेनेजुएला में हुआ था।

वेनेजुएला में जन्मे रित्विक का 8 वर्ष तक का बचपन वहीं मस्ती करते हुए बीता। वहां उन्हें तैराकी करने और बेसबाल खेलने में आनंद आता था। फिर अचानक किस्मत ने पलटा खाया और वह भारत आ गए। तब बहुत छोटे थे और भारत में होने वाली सामान्य चीजों के बारे में अक्सर शिकायत करते थे, जैसे यहां पेप्सी क्यों नहीं मिलती? धीरे-धीरे रित्विक ने भारत के अनुसार यहां की जीवनचर्या में स्वयं को ढालना शुरू कर दिया। उन्होंने पेप्सी जैसी अनेक चीजों के बिना रहना सीख लिया।

वह अपने पिता के साथ एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे। 6 माह इलाहाबाद, एक वर्ष बंगलौर, एक वर्ष दिल्ली में बिताने के बाद वह चेन्नई पहुंच गए। तब तक वह 12 वर्ष के हो चुके थे और इतने समय में 8 स्कूलों में पढ़ाई के साथ ही 4 भाषाएं सीख चुके थे। इसके पश्चात् रित्विक के जीवन में किशोरावस्था के साथ नए बदलाव शुरू हो गए।

रित्विक भट्टाचार्य ने स्क्वैश खेलते हुए अनेक सफलताएं अर्जित कीं। उनकी स्क्वैश की ट्रेनिंग व शिक्षा अमेरिका से हुई। उन्होंने ऊटाह विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग से पी.एच.डी. की। वह सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के फार्मल तरीकों की पहचान पर अनुसंधान कर रहे हैं। वह अपना मुख्य निवास लंदन में बनाना चाहते हैं ताकि नील हार्वी की कोचिंग से खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

रित्विक भट्टाचार्य ने 1996-1997 में ‘सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर खिलाड़ी’ का पुरस्कार जीता, जो उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया।

1997 में रित्विक राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन रहे। इसके पश्चात् 1998 में वह 19 वर्ष की आयु में स्क्वैश के राष्ट्रीय चैंपियन बने। वर्ष 1998, 2000, 2001, 2003 और 2005 में पांच बार उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं। रित्विक ने पीएसए टूर 1998 में पहली बार भाग लिया। उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नवम्बर, 2006 में थी, जब वह विश्व रैंकिंग में 38वें नंबर पर पहुंच गए थे। एक समय उनकी रैंकिंग 51, 60 तथा 122 रही थी। जनवरी, 2005 में रित्विक ने 6000 डॉलर का आई.सी.एल. चेन्नई ओपन स्क्वैश टूर्नामेंट जीता था। इसमें उन्होंने सिद्धार्थ सूडे को हराया था।

2004 में भारत के लिए खेलते हुए रित्विक विश्व युगल के फाइनल में पहुंचे । 2006 में , रित्विक पीएसए विश्व रैंकिंग में शीर्ष 50 में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने । 2007 में , वह भारतीय टीम के कप्तान थे और भारत के लिए खेलते हुए 70 से अधिक मैच जीते थे। रित्विक ने 9 पीएसए टूर खिताब जीते हैं और वह भारत के सबसे सफल स्क्वैश खिलाड़ी हैं। नवंबर 2008 में उन्होंने अपनी सर्वोच्च विश्व रैंकिंग (38वीं) हासिल की और एक बार भारत के सर्वोच्च रैंकिंग वाले स्क्वैश खिलाड़ी बने, लेकिन 2013 में सौरव घोषाल ने उन्हें पीछे छोड़ दिया ।


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