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पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सिक्योरिटी के लिए अपने सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना चाहता है बीजिंग

चीन, पाकिस्तान में काम कर रहे अपने हजारों नागरिकों के लिए अपने सुरक्षाकर्मी तैनात करने के प्रस्ताव को जोरदार तरीके से आगे बढ़ा रहा है

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सिक्योरिटी के लिए अपने सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना चाहता है बीजिंग
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इस्लामाबाद। चीन, पाकिस्तान में काम कर रहे अपने हजारों नागरिकों के लिए अपने सुरक्षाकर्मी तैनात करने के प्रस्ताव को जोरदार तरीके से आगे बढ़ा रहा है। हाल के दिनों में पाकिस्तान में चीनी कामगारों पर हुए कई घातक हमलों ने इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है।

अक्टूबर में कराची एयर पोर्ट के बाहर कार बम विस्फोट के बाद हुआ था। हमले में चीन के निवेशकों और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं से जुड़े इंजीनियरों को निशाना बनाया गया था। टारगेटेड अटैक में दो चीनी कामगारों की मौत हो गई थी।

कराची बम विस्फोट की तीव्रता और घटना की जांच ने बीजिंग को खासा नाराज कर दिया है। इसमें थाईलैंड से पाकिस्तान लौट रहे इंजीनियरों के यात्रा कार्यक्रम और मार्ग का विवरण हासिल करने में एक अंदरूनी सूत्र की भूमिका का खुलासा हुआ है।

इस विस्फोटो को बीजिंग ने पाकिस्तानी एजेंसियों की एक बड़ी सुरक्षा नाकामी के रूप में देखा और भविष्य के लिए एक संयुक्त सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम की वकालत की जिसके तहत चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए वह अपने कर्मी तैनात कर सके।

सूत्रों के अनुसार, बीजिंग का प्रस्ताव पिछले महीने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग की पाकिस्तान यात्रा के दौरान सामने रखा गया था।

ली कियांग एक दशक से भी अधिक समय में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले चीनी पीएम थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस पर व्यक्तिगत रूप से उनका स्वागत किया था।

ऐसा माना जा रहा है कि बंद दरवाजों के पीछे हुई बैठकों के बाद, पाकिस्तान की धरती पर अपने सुरक्षा कर्मियों को रखने के चीन के प्रस्ताव को अंततः स्थानीय सरकार से मंजूरी मिल सकती है।

एक सूत्र ने बताया, "बीजिंग की ओर से इस्लामाबाद को एक लिखित प्रस्ताव भेजा गया। इसे आगे समीक्षा के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेजा गया। प्रस्ताव में आतंकवाद विरोधी अभियानों में मदद करने और संयुक्त हमले करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और सैन्य बलों को एक-दूसरे के क्षेत्र में भेजने की अनुमति दी गई।"

हालांकि, कई उच्च पदस्थ अधिकारियों ने पूरे प्रस्ताव पर गंभीर संदेह जताया है, उनका कहना है कि इस कदम से भविष्य में देश के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान अपनी खुफिया और निगरानी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए सीधे तौर पर शामिल चीन के शामिल होने के बजाय उसकी मदद लेना पसंद करेगा।"

चीन भी वर्तमान में पाकिस्तान के साथ चल रही सुरक्षा सहयोग वार्ता पर गोपनीयता बनाए हुए है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा। इसी के साथ चीनी कर्मियों, परियोजनाओं और संस्थानों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त सुरक्षा योजना के बारे में उनके पास कोई विस्तृत जानकारी नहीं है।


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