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अरब लीग ने इजरायली मंत्री के अल अक्सा मस्जिद में जा प्रार्थना करने पर जताया ऐतराज

अरब लीग (एएल) के महासचिव अहमद अबुल-घीत ने इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर द्वारा पूर्वी यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद परिसर पर कट्टरपंथी लोगों के एक समूह संग धावा बोलने की कड़ी निंदा करते हुए इसे "स्पष्ट उकसावा" करार दिया

अरब लीग ने इजरायली मंत्री के अल अक्सा मस्जिद में जा प्रार्थना करने पर जताया ऐतराज
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काहिरा। अरब लीग (एएल) के महासचिव अहमद अबुल-घीत ने इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर द्वारा पूर्वी यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद परिसर पर कट्टरपंथी लोगों के एक समूह संग धावा बोलने की कड़ी निंदा करते हुए इसे "स्पष्ट उकसावा" करार दिया

अबुल-घीत ने कहा, "यह घुसपैठ भावनाओं को भड़काने और स्थिति को बढ़ाने के उद्देश्य से एक स्पष्ट उकसावे की कार्रवाई है।" उनका ये बयान काहिरा स्थित पैन-अरब संगठन ने साझा किया।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने एएल प्रमुख के हवाले से कहा, इजरायली "कब्जे वाली पुलिस" के संरक्षण में पवित्र स्थल में बेन-ग्वीर का प्रवेश इजरायली सरकार की शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति शत्रुता की प्रकृति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि यह घटना इजरायल सरकार के अल-अक्सा मस्जिद में ऐतिहासिक यथास्थिति के निरंतर उल्लंघन का हिस्सा है।

अल-अक्सा मस्जिद, इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल है, जिसका प्रशासन जॉर्डन से संबद्ध इस्लामी धार्मिक ट्रस्ट जेरूसलम अवकाफ विभाग द्वारा किया जाता है। यहूदी इस स्थल को मंदिर के रूप में पूजते हैं। यह पवित्र स्थल लंबे समय से यहूदियों और मुसलमानों के बीच घातक हिंसा का केंद्र रहा है।

अबुल-घीत ने कहा, "इजरायल इन अस्वीकृत और निंदनीय नीतियों के माध्यम से जानबूझकर इस क्षेत्र में धर्मों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की सभी संभावनाओं को नष्ट कर रहा है।"

इससे पहले दिन में, बेन-ग्वीर ने कहा कि उन्होंने अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया और "प्रार्थना की"। उन्होंने स्थल पर लंबे समय से चली आ रही यथास्थिति का उल्लंघन किया, जिसके तहत गैर-मुसलमानों को केवल पहाड़ी परिसर में जाने की अनुमति है, लेकिन वहां प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है।

यरुशलम के पुराने शहर में अल-अक्सा परिसर मक्का और मदीना की मस्जिदों के बाद इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है और यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।

सऊदी मंत्रालय ने गुरुवार को दिसंबर की शुरुआत में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद दक्षिणी सीरिया में इजरायली कब्जे वाले बलों की बढ़त की भी निंदा की।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "सीरिया में (इजरायली) सैन्य अभियानों का जारी रहना सीरिया की सुरक्षा और स्थिरता को बहाल करने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने का एक प्रयास है।"


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