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रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की नई रणनीति

ऐसे समय में जब यूक्रेन रूस के खिलाफ जारी युद्ध में सैनिकों की कमी का सामना कर रहा है, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और आने वाले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अलग-अलग रणनीतियां पेश की हैं

रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की नई रणनीति
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ऐसे समय में जब यूक्रेन रूस के खिलाफ जारी युद्ध में सैनिकों की कमी का सामना कर रहा है, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और आने वाले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अलग-अलग रणनीतियां पेश की हैं.

बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन से कहा है कि वह सेना में अपनी न्यूनतम भर्ती उम्र 25 से घटाकर 18 कर दे. यूक्रेन को बड़ी और ज्यादा ताकतवर रूसी सेना के खिलाफ अपने नुकसान को पूरा करने के लिए और सैनिकों की जरूरत है.

बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे "अस्तित्व का सवाल" बताया. उन्होंने कहा, "यूक्रेन इस समय पर्याप्त सैनिकों की भर्ती और ट्रेनिंग नहीं कर रहा है, जिसकी रूस की बढ़ती सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए जरूरत है."

यूक्रेन ने पहले ही भर्ती की उम्र 27 से घटाकर 25 कर दी है लेकिन अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, औसत यूक्रेनी सैनिक की उम्र 40 साल है. बाइडेन प्रशासन का मानना है कि युवाओं की भर्ती बेहद जरूरी है.

हालांकि, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने साफ किया कि यूक्रेन को दी जा रही अमेरिकी सैन्य मदद, जो 2022 से करीब 60 अरब डॉलर है, इस बदलाव पर निर्भर नहीं है. किर्बी ने कहा, "सैनिकों की संख्या बढ़ाना बहुत जरूरी है. अगर यूक्रेन इसे लेकर कदम उठाएगा, तो हम ट्रेनिंग में और मदद करेंगे."

ट्रंप की योजना में बदलाव के संकेत

आने वाले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सेवानिवृत्त जनरल कीथ केलॉग को यूक्रेन और रूस के लिए विशेष दूत नियुक्त किया है. केलॉग का काम युद्ध खत्म करने का होगा.

ट्रंप ने चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह यूक्रेन और रूस के बीच जल्दी ही शांति समझौता कराएंगे. हालांकि, आलोचकों को डर है कि ट्रंप यूक्रेन पर दबाव डाल सकते हैंकि वह कुछ कब्जे वाले इलाके रूस को सौंप दे या नाटो में शामिल होने की योजना टाल दे.

ट्रंप ने केलॉग को "अद्भुत करियर" के लिए सराहा और कहा कि वह इस जिम्मेदारी के लिए पूरी तरह योग्य हैं. केलॉग ने इस साल एक शोध पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी सैन्य मदद को शांति वार्ता में बदलने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.

उन्होंने लिखा था, "हम यूक्रेन को हथियार देना जारी रखेंगे ताकि रूस आगे बढ़ने की कोशिश न करे. लेकिन आगे की मदद के लिए यूक्रेन को शांति वार्ता में शामिल होना होगा."

युद्ध खत्म करने के लिए अलग-अलग विचार

बाइडेन और ट्रंप की रणनीतियों में बड़ा अंतर है. बाइडेन प्रशासन यूक्रेन की सैन्य ताकत बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है, जबकि ट्रंप जल्दी शांति वार्ता शुरू करना चाहते हैं. हाल ही में बाइडेन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत दी थी.

केलॉग ने जुलाई में रिपब्लिकन सम्मेलन में कहा था कि अगर यूक्रेन शांति वार्ता नहीं करेगा, तो उसे गंभीर नुकसान झेलने होंगे. उन्होंने अनुमान लगाया कि यूक्रेन के मारे गए सैनिकों की संख्या 2,50,000 तक पहुंच सकती है.

यूक्रेन की जनसंख्या, जो 1990 के दशक के मध्य में 5.2 करोड़ थी, अब एक चौथाई से कम हो गई है. युवाओं को बचाने की कोशिश के बावजूद यूक्रेन के सामने कड़ी चुनौती है.

अप्रैल में राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भर्ती की उम्र 27 से घटाकर 25 कर दी थी लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इससे भी सैनिकों की कमी पूरी नहीं हो रही. यूक्रेन को कम से कम 1,60,000 नए सैनिकों की जरूरत है.

जनवरी में ट्रंप के कार्यभार संभालने के साथ ही यूक्रेन के लिए बड़ा फैसला होगा. बाइडेन प्रशासन यूक्रेन को मदद जारी रखना चाहता है, लेकिन नई सरकार की शर्तें अलग हो सकती हैं. ट्रंप ने वादा किया है कि वह "24 घंटे में" शांति समझौता कराएंगे, लेकिन इसके बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.


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