पटना में सनातन महाकुंभ का विराट आयोजन, देशभर से जुटे संत-महात्मा, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी रहे उपस्थित
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज ‘सनातन महाकुंभ’ का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन भगवान परशुराम जन्म महोत्सव के समापन पर आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर के संत-महात्मा, धार्मिक विचारक और हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए

- बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान: “बिहार से आत्मीय नाता, राजनीति नहीं रामनीति से जुड़ा हूं”
- “जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद चाहिए” – गांधी मैदान से बाबा धीरेंद्र शास्त्री का संदेश
बिहार। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज ‘सनातन महाकुंभ’ का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन भगवान परशुराम जन्म महोत्सव के समापन पर आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर के संत-महात्मा, धार्मिक विचारक और हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे हुई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और मानसून को देखते हुए आयोजन स्थल पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त जर्मन हैंगर लगाया गया था। आयोजन श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संरक्षण में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के मार्गदर्शन में हुआ।
इस अवसर पर उपस्थित रहे बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्होंने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि सनातन धर्म खतरे में नहीं है, लेकिन उस पर बारंबार हमले जरूर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा- “गांधी मैदान में पहले आयोजन की अनुमति नहीं मिली थी, क्योंकि वह बीचोबीच है, लेकिन जैसे ही हमें सूचना मिली, हमने बिना देरी के आने का निर्णय लिया। बिहार से मेरा आत्मीय रिश्ता है। ये भूमि हमें बारंबार बुलाती है।”
उन्होंने याद दिलाया कि-“पूरे विश्व में जहां एक साथ 12 लाख लोगों ने कथा सुनी, वह स्थान बिहार का तरेत पाली मठ है। बिहार ने ज्ञान दिया, नीति दी, माता सीता दी — हम इस ऋण को जीवन भर नहीं भूल सकते।”
बाबा बागेश्वर ने अपने वक्तव्य में जोर देते हुए कहा:
“हम राजनीति के चक्कर में नहीं आए हैं, हम रामनीति के चक्कर में आए हैं। हम चाहते हैं कि लोग जातिवाद से ऊपर उठें और राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित हों।"
कार्यक्रम में अन्य प्रमुख संतों में जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी, परमहंस ज्ञानानंद जी महाराज, जगद्गुरु अनंताचार्य जी, और कई महामंडलेश्वर शामिल रहे।
राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिंह और कई केंद्रीय मंत्री भी कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित रहे।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रवादी सोच के प्रसार का संदेश भी लेकर आया।