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न्यूयॉर्क की गुजारिश, मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदला जाए

अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुरोध किया है कि मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदल दिया जाए.

न्यूयॉर्क की गुजारिश, मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदला जाए
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न्यूयॉर्क में मंकीपॉक्स वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. पिछले हफ्ते ही डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को स्वास्थ्य-आपातकाल घोषित किया था. न्यूयॉर्क में इसके 1,092 मामले सामने आ चुके हैं जो अमेरिका के किसी अन्य राज्य से ज्यादा हैं.

न्यूयॉर्क सिटी काउंसिल के स्वास्थ्य आयुक्त अश्विन वासन ने मंगलवार को डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेडरोस गेब्रेयासुस को एक पत्र लिखकर बीमारी का नाम बदलने का अनुरोध किया. वासन ने लिखा कि मंकीपॉक्स वायरस के नाम से जिस तरह का संदेश जाता है, उसके पीड़ादायक और तिरस्कारपूर्ण परिणाम हो सकते हैं, इसलिए हम चिंतित हैं.

वैसे, डब्ल्यूएचओ ने ही इस वायरस का नाम बदलने का विचार पेश किया था. यह वायरस चेचक से संबंधित है लेकिन चेचक को अब पूरी तरह खत्म किया जा चुका है. वासन ने अश्वेत समुदाय के साथ इस नाम से जुड़ी ऐतिहासिक नस्लवादी घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि मंकीपॉक्स असल में बंदरों की वजह से नहीं होता, जबकि नाम से ऐसा लगता है.

यह भी पढ़ेंः DW फैक्ट चेकः मंकीपॉक्स के बारे में फैल रही गलत जानकारियों का सच

वासन ने कहा कि एचआईवी वायरस के शुरुआती दिनों में गलत सूचनाओं का भी गलत असर पड़ा था और जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कोविड को ‘चीनी वायरस' कहा था तो एशियाई समुदायों को नस्लवादी व्यवहार झेलना पड़ा था.

वासन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "इस नाम का प्रयोग करते रहने से नस्लवाद और अन्य पीड़ादायक अनुभव लौट सकते हैं, खासकर अश्वेत व अन्य रंग के लोगों के लिए व एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदायों के लिए. और ऐसा हो सकता है कि वे इस अनुभव से बचने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं ही ना लें.

कितना बड़ा है खतरा?

मंकीपॉक्स वायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है और मध्य व पश्चिमी अफ्रीका में यह बरसों से मौजूद है. हालांकि इस वक्त यह खासतौर पर अमेरिका व यूरोप में समलैंगिक पुरुषों के बीच ज्यादा फैल रहा है. इस वायरस के शुरुआती लक्षणों में बुखार और थकान होती है और कुछ दिन बाद शरीर पर दाने निकल आते हैं जिनमें दर्द भी हो सकता है. ये दाने कुछ हफ्तों तक रहने के बाद पपड़ी बनकर झड़ जाते हैं.

यूरोप और अमेरिका में मंकीपॉक्स से फिलहाल कोई मौत नहीं हुई है. हालांकि सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि अब तक 75 देशों में इस वायरस के 17 हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं. सबसे ज्यादा मामलों वाले देशों में जर्मनी (2,410), ब्रिटेन (2,208) और फ्रांस (1,567) शामिल हैं. भारत में अब तक चार लोगों को इस वायरस से ग्रस्त पाया गया है. पूरी दुनिया में इस बीमारी से अब तक पांच लोगों की मौत हुई है और ये पांचों लोग अफ्रीका के ही थे.

डेनमार्क की बायोटेक कंपनी बवेरियन नॉर्डिक का कहना है कि यूरोपीय संघ ने उसकीवैक्सीन इमवैनेक्स को मंकीपॉक्स के मामलों में इस्तेमाल की इजाजत दे दी है. बवेरियन नॉर्डिक ने कहा, "यूरोपीय आयोग ने कंपनी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन, इमवैनेक्स को मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए मंजूरी दे दी है."

न्यूयॉर्क में अधिकतर समलैंगिक व बाइसेक्सुअल पुरुषों को इस वायरस के लिए जाइनियोस नाम की वैक्सीन दी जा रही है जो चेचक की वैक्सीन थी. ब्रिटिश स्वास्थ्य एजेंसियों ने कुछ टीकों की जांच की तैयारी शुरू कर दी है.


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