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बंगाल में सरकारी डॉक्टरों के लिए बन रही नई तबादला नीति

पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सेवारत डॉक्टरों के स्थानांतरण के लिए एक मसौदा नीति विकसित की है

बंगाल में सरकारी डॉक्टरों के लिए बन रही नई तबादला नीति
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सेवारत डॉक्टरों के स्थानांतरण के लिए एक मसौदा नीति विकसित की है, जिसमें प्रस्ताव दिया गया है कि किसी को भी किसी विशेष स्थान पर पांच साल से अधिक रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अब इसे मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। नई नीति बनाने की प्रक्रिया तब शुरू हुई, जब मिदनापुर मेडिकल कॉलेज में सेवारत 40 वर्षीय डॉक्टर अबंतिका भट्टाचार्य ने मौजूदा स्थानांतरण नीति को लेकर इस साल सितंबर में कथित तौर पर खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली। वह कोलकाता में ट्रांसफर की तलाश में थीं, क्योंकि वह अपनी ऑटिस्टिक बेटी की देखभाल करना चाहती थीं।

डॉक्टर अबंतिका का 1 सितंबर को निधन हो गया। उन्होंने 16 अगस्त को अपने अंतिम फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "जहां शांति मेरे लिए है.. नौकरी से इस्तीफा? आठ साल की सेवा के बाद फिर से उसी नौकरी की क्षमता में दूसरी परिधीय सेवा में घसीटा जा सकता है।"

इस घटना ने चिकित्सा समुदाय को झकझोर दिया है और कई डॉक्टरों के निकाय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में सरकार की तबादला नीति पर सवाल उठाने के लिए सामने आए थे। कई राजनीतिक नेताओं और संघों ने भी सरकारी डॉक्टरों के तबादलों की पहल करते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा भाई-भतीजावाद और पक्षपात का आरोप लगाया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार भी है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टरों की स्थानांतरण नीति पर गौर करने को कहा था, ताकि पक्षपात का सवाल न उठे। दो महीने के सावधानीपूर्वक विचार के बाद विभाग ने पाया कि राज्य में सेवारत 6,000 डॉक्टरों में से कम से कम 20 से 25 प्रतिशत बिना किसी पदोन्नति के वर्षो तक एक स्थान पर रहते हैं।

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने पाया है कि कुछ डॉक्टर वर्षो तक अपने घरों के करीब रहते हैं। उन्हें न तो पदोन्नत किया जाता है और न ही स्थानांतरित किया जाता है। इन डॉक्टरों के स्थानांतरण आदेश जारी किए जाते हैं और फिर किसी अज्ञात कारण से लागू नहीं किया जाता है। यह एक बहुत ही नाजुक मुद्दा है और राज्य सरकार इस मुद्दे पर पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता दिखा रही है।"

मसौदा नीति के अनुसार, किसी को भी एक स्थान विशेष पर वर्षो तक रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी और अन्य डॉक्टरों की तरह नियमित अंतराल पर स्थानांतरित होना होगा।

उन्होंने कहा, "सरकार डॉक्टरों के हितों की रक्षा के लिए बहुत संवेदनशील है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई स्थिति का फायदा उठाएगा और दूसरों को नुकसान होगा। सरकार निष्पक्ष और समान रूप से सभी डॉक्टरों के हितों की रक्षा करने के लिए उत्सुक है।"


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