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बिहार में नए ईंट-भट्ठों के लिए नई स्वच्छता तकनीक अनिवार्य

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां शुक्रवार को कहा कि राज्य में नए ईंट-भट्ठा स्थापित करने के लिए नई स्वच्छता तकनीक को अपनाना अनिवार्य होगा

बिहार में नए ईंट-भट्ठों के लिए नई स्वच्छता तकनीक अनिवार्य
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पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां शुक्रवार को कहा कि राज्य में नए ईंट-भट्ठा स्थापित करने के लिए नई स्वच्छता तकनीक को अपनाना अनिवार्य होगा। पर्यावरण व वन विभाग तथा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे राज्य में करीब 6500 ईंट-भट्ठों की संख्या है जिनमें से 2000 संचालकों ने अपने ईंट-भट्ठे को नई स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को अपना घोषणा पत्र (एफिडेबिट) दिया है जबकि 700 ने अपने भट्ठों को नई स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित कर लिया है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि पहले से संचालित ईंट-भट्ठों को परिचालन की अनुमति के लिए यह एफिडेबिट करना होगा कि अगले एक वर्ष में वे अपने भट्ठों को नई स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित कर लेंगे।

मोदी ने कहा कि पुरानी तकनीक वाले ईंट-भट्ठों से एक लाख ईंट तैयार करने में 20 टन कोयले की खपत होती है, जबकि नई स्वच्छता तकनीक अपनाने के बाद 12 टन कोयले की ही खपत होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण होगा।

उल्लेखनीय है कि डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक वायु प्रदूषित 10 शहरों में बिहार के पटना, गया और मुजफ्फरपुर भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि पटना के निकटवर्ती पांच प्रखंडों मनेर, दानापुर, पटना सदर, फतुहा व फुलवारी शरीफ में नए ईंट-भट्ठा लगाने पर रोक है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद अब किसी को भी पुरानी तकनीकी पर आधारित ईंट-भट्ठों के परिचालन की अनुमति नहीं देगा।

इस बैठक में पर्यावरण व वन विभाग के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव आलोक कुमार सहित कई अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।


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