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पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा: एसोचैम

इमरान खान के पाकिस्तान का नया प्रधान मंत्री बनने पर चीन और ईरान अर्थव्यवस्था संकट से उबारने में भले ही इसकी सहायता करें, लेकिन केवल भारत ही पाकिस्तान के अमेरिकी डॉलर से संचालित आयात पर निर्भरता को कम

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा: एसोचैम
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कोलकाता। इमरान खान के पाकिस्तान का नया प्रधान मंत्री बनने पर चीन और ईरान अर्थव्यवस्था संकट से उबारने में भले ही इसकी सहायता करें, लेकिन केवल भारत ही पाकिस्तान के अमेरिकी डॉलर से संचालित आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद कर सकता है।

एसोचैम के अनुसार जैसे ही इमरान खान प्रधानमंत्री पद ग्रहण करेंगे वैसे ही उनको आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उनके पास अमेरिकी डॉलर से विनिमय करने के लिए 10 अरब से कम ही राशि है।

पाकिस्तान चुनाव में खान की जीत की बधाई देते हुए एसोचैम ने कहा कि नये प्रधानमंत्री को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा ।
सरकारी सेंट्रल बैंक द्वारा दिंसबर से तीन बार अवमूल्यन के बाद एक अमेरिकी डॉलर की कीमत पाकिस्तान के 130 रुपये आस-पास हो गया जिससे आयात काफी मँहगा हो गया है जबकि मुद्रास्फीति बढ़ रही है। परिष्कृत पेट्रोलियम तेल, कम्प्यूटर, विद्युत मशीनरी, लोह और इस्पात और ऑटोमोबाइल मुख्य पांच पाकिस्तानी आयात वस्तुएं हैं जो देश के लिए जरुरी हैं।

पाकिस्तान सरकार भारत सरकार के साथ व्यापार के लिए प्रयास कर सकती है जो नकदी के बिना इन सभी वस्तुओं को काउंटर-ट्रेड में निर्यात करें। यह पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार के लिए बड़ी राहत हो सकती है, जबकि भारत के पास भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ 400 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के लिए पर्याप्त जगह है।

एसोचैम के अनुसार नए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को नेतृत्व क्षमता दिखानी है, जैसी उन्होंने अपने विजय भाषण के दौरान दिखायी है। जिससे पाकिस्तान की मुख्य समस्याओं, सीमा पार से वस्तुओं का आयात और नकदी के बिना लेनदेन का समाधान हो सके।

चैंबर के अनुसार चीन और ईरान पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जबकि बीजिंग और तेहरान अमेरिका से साथ व्यापार युद्ध और प्रतिबंधों के होते हुए अपने व्यापार और राजनीतिक तनाव को बहाल कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में, इमरान खान के लिए पहला पड़ाव नयी दिल्ली होना चाहिए।


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