Top
Begin typing your search above and press return to search.

घोंडा गुजरान की 150 एकड़ भूमि पर बनेगी नई लैंडफिल

पूर्वी दिल्ली का कचरा उत्तरी दिल्ली के रानीखेड़ा गांव में डालने के चलते जहां शहरी बनाम ग्रामीण विवाद को हवा देने की कोशिश की जा रही है

घोंडा गुजरान की 150 एकड़ भूमि पर बनेगी नई लैंडफिल
X

नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली का कचरा उत्तरी दिल्ली के रानीखेड़ा गांव में डालने के चलते जहां शहरी बनाम ग्रामीण विवाद को हवा देने की कोशिश की जा रही है। वहीं, गाजीपुर सेनेटरी लैंडफिल साईट (एसएलएफ) भर जाने के चलते कचरा निस्तारण की समस्या से जूझ रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने नई एसएलएफ बनाने के लिए दो स्थान चिन्हित कर लिए हैं। इनमें से एक घोंडा गुजरान स्थित 150 एकड़ भूमि है और दूसरी सोनिया विहार स्थित 30 एकड़ भूमि है। गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश पर गाजीपुर में कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगाने के बाद रानी खेड़ा में कचरा फेंकने के निर्देश दिए गए थे।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक घोंडा स्थित भूमि सेनेटरी लैंडफिल साईट के लिए ज्यादा उपयोगी पाई गई है। यह पूर्वी दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित है। जबकि सोनिया विहार न सिर्फ आबादी से घिरा है बल्कि शहर के काफी अंदर भी है।लिहाजा कश्मीरी गेट से शाहदरा जाने वाले मार्ग पर स्थित आईटी पार्क (शास्त्री पार्क) से बाएं हाथ की ओर जाने वाले पुश्ता मार्ग पर स्थित घोंडा गुजरान की 150 एकड़ भूमि मांगी गई है। यह भूमि यमुना के डूब क्षेत्र में आती है और यहां किसी प्रकार की रिहायश भी नहीं है। हालांकि राजधानी के मास्टर प्लान में 31 सेनेटरी लैंडफिल साईट (एसएलएफ) बनाने का प्रस्ताव एकीकृत दिल्ली नगर निगम द्वारा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को दिया जा चुका है।

इसके लिए निगम ने बाकायदा ब्लू प्रिंट भी तैयार किया था और तमाम प्रस्तावित एसएलएफ की जगह भी चिन्हित करवा दी। मगर एनवायरनमेंट क्लीयरेंस न मिलने के चलते एसएलएफ आवंटन का मामला ठंडे बस्ते में चला गया। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने प्रस्तावित एसएलएफ पर आने वाले कचरे का तुरंत निस्तारण करने की योजना भी बना ली है। तमाम कचरे को एसएलएफ पर अलग-अलग (पृथक्करण) किया जाएगा। अलग किए गए कचरे का इस्तेमाल विभिन्न संयंत्रों में किया जाएगा। जिससे कचरा लगभग खत्म ही हो जाएगा। इसके लिए कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र (वेस्ट टू एनर्जी प्लांट) और मलबे से टाइल और रोड़ी बदरपुर आदि बनाने वाले मलबा संयंत्र (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट प्लांट) लगाए जाएंगे। जहां रोजाना कई टन कचरा खपाया जा सकेगा। जबकि जैविक कचरे (बायो डिग्रेडेबल) से कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी और कचरे से निकलने वाली मीथेन गैस को एकत्र करके उसका वाणिज्यिक इस्तेमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली के 64 वार्डों से रोजाना करीब 2500 से 3000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जिसे ट्रकों के जरिये गाजीपुर एसएलएफ पर भेजा जाता है। जहां पिछले 33 सालों के दौरान 140 लाख टन कूड़ा-कचरा फेंका जा चुका है। करीब 70 एकड़ क्षेत्रफल में स्थापित एसएलएफ की स्थापना साल 1984 में की गई थी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it