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हांगकांग के स्कूलों की नई किताबों में क्षेत्र के ब्रिटिश उपनिवेश रहने का जिक्र नहीं होगा

हांगकांग के स्कूलों के लिए तैयार नई पाठ्यपुस्तकों में बताया जाएगा कि यह क्षेत्र कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं था

हांगकांग के स्कूलों की नई किताबों में क्षेत्र के ब्रिटिश उपनिवेश रहने का जिक्र नहीं होगा
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हांगकांग। हांगकांग के स्कूलों के लिए तैयार नई पाठ्यपुस्तकों में बताया जाएगा कि यह क्षेत्र कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं था। स्थानीय मीडिया की खबरों में यह जानकारी दी गई। बीबीसी के मुताबिक, नई किताबों में 'ब्रिटिश उपनिवेश' के बजाय बताया जाएगा कि हांगकांग में 'ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन' था, ताकि चीन की संप्रभुता के दावों को उजागर किया जा सके।

चीन ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उसने कभी भी अपनी संप्रभुता नहीं छोड़ी और 1800 के दशक में अनुचित अफीम युद्ध संधियों के कारण अंग्रेजों को हांगकांग सौंपना पड़ा।

ब्रिटेन ने 150 से अधिक वर्षो तक शासन करने के बाद 1997 में चीन को हांगकांग लौटा दिया था।

अपने शासन के दौरान ब्रिटेन ने हांगकांग को एक गहरे बंदरगाह वाले तेजी से बढ़ते 'शहर राज्य' और दुनिया के प्रमुख वित्तीय केंद्रों में से एक - एक उपनिवेश या आश्रित क्षेत्र के रूप में विकसित किया।

बीबीसी ने बताया कि यूनाइटेड किंगडम ने 1841 से 1941 तक और 1945 से 1997 तक इस क्षेत्र पर शासन किया, जिसके बाद इसे फिर से चीन को सौंप दिया गया।

नई पाठ्यपुस्तकों में 'उपनिवेश' और 'औपनिवेशिक शासन' के बीच के अंतर समझाया जाएगा। नई किताबों में घोषणा की जाएगी कि किसी देश को उपनिवेश कहने के लिए उस क्षेत्र पर संप्रभुता के साथ-साथ शासन की भी जरूरत होती है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नई पाठ्यपुस्तकें कहती हैं कि हांगकांग के मामले में अंग्रेजों ने 'केवल औपनिवेशिक शासन का प्रयोग किया .. इसलिए हांगकांग कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं रहा'।

बीबीसी ने बताया कि नई किताबें हांगकांग के स्कूलों में नागरिकता के आदर्शो, वैधता और देशभक्ति पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक विशिष्ट पाठ्यक्रम के लिए तैयार की गई हैं।


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