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टीबी के इलाज के लिए आई नई दवा

सिम्स में डाक्टरों की टीम ने शनिवार को टीबी के इलाज के लिए एक नई दवा 'बेंडाक्विलिन जांच की

टीबी के इलाज के लिए आई नई दवा
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सिम्स में मरीजों को दी गई 'बेंडाक्विलिन

बिलासपुर। सिम्स में डाक्टरों की टीम ने शनिवार को टीबी के इलाज के लिए एक नई दवा 'बेंडाक्विलिन जांच की। यह दवा राज्य में पहली बार सिम्स के मरीजों को टी गई।

यह दवा 40 सालों के रिसर्च के बाद तैयार हो गई है। इससे पहले दी जाने वाला दवा टीबी के लिए निष्क्रिय हो रही थी यही वजह है कि इस दवा को लांच किया गया है। सिम्स अधीक्षक डा. रमणेश मूर्ति ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि टीबी के मरीजों के लिए लंबे समय से एक ही प्रकार की दवा का इस्तेमाल किया जा रहा था।

अब यह दवा टीबी की बैक्टिरिया से लड़ने में नाकाम हो रही है। इससे टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं और जो इस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं वे जल्द ठीक नहीं हो पा रहे हैं। टीबी को खत्म करने के लिए असरदार दवा बनाने 40 सालों से रिसर्च की जा रही थी। अंतत: अब यह दवा तैयार हो गई है।

टीबी की नई दवा 'बेंडाक्विलिन को लांच करते समय डाक्टरों की टीम ने बताया कि यह केमिकल के रूप में डायलिक्टिवनोलिन एण्ड माइक्रो बैक्टिरियल दवा है। इसे 2012 में अमेरिका द्वारा टीबी के मरीजों के लिए लाया जा चुका है। खास बात यह है कि यह दवा पूरे राज्य में पहली बार सिम्स मेें मरीजों को दी गई है। दवा के बारे में डाक्टरों ने बताया कि यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।

इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। शुरूआती दौर में मरीज को दवा लेने के बाद बैचैनी या घबराहट हो सकती है। लेकिन यह दवा के प्रभाव की वजह से होता है न कि उसके दुष्प्रभाव के कारण। डॉ. मूर्ति ने बताया कि टीबी से ग्रसित महिलाओं के लिए भी 'बेंडाक्विलिन एक कारगर दवा साबित होगा। इससे पहले गर्भवती महिलाओं को टीबी की दवा देते समय कई प्रकार की हिदायत दी जाती थी।

साथ ही दवा का असर बच्चों को भी होने का आशंका होती थी। लेकिन'बेंडाक्विलिन से अब यह समस्या भी दूर हो जाएगी और टीबी से अब यह समस्या भी दूर हो जाएगी और टीबी से ग्रसित गर्भवती महिलाएं भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगी। डाक्टरों ने बताया कि 2015 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसे देखते हुए हर जिले में टीबी संबंधी जांच के लिए नई मशीन मंगाई गई है। इसके जरिए मरीजों को टीबी संबंधी सभी जांच की रिपोर्ट मात्र दो घण्टे में ही दे दी जाएगी। इससे टीबी के मरीजों का समय दर इलाज किया जा सकेगा।


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