विधानसभा चुनावों में जीत के बाद बदला अंक गणित,भाजपा बना सकती है अब अपनी पसंद का राष्ट्रपति
नयी दिल्ली ! उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की गूंज राज्यसभा और राष्ट्रपति भवन में भी सुनाई पड़ेगी।

नयी दिल्ली ! उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की गूंज राज्यसभा और राष्ट्रपति भवन में भी सुनाई पड़ेगी।
भाजपा की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जीत इस बात को सुनिश्चित करेगी कि अगले राष्ट्रपति का निर्वाचन करने वाले निर्वाचक मंडल में उसके मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा होगा. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जून में किसी भी वक्त जारी की जा सकती है. राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए होता है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य होते हैं. इसमें 4120 विधायक और 776 निर्वाचित सांसदों समेत 4896 मतदाता होते हैं।
जहां लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित सदस्य होने के नाते मतदान कर सकते हैं, वहीं लोकसभा में मनोनीत दो एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्य और राज्यसभा में 12 मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकते हैं. विधायकों के मत का मूल्य जिस राज्य का वे प्रतिनिधित्व करते हैं उसके आकार पर निर्भर करता है. लेकिन सांसद के मत का मूल्य समान रहता है और इसमें परिवर्तन नहीं होता है. निर्वाचक मंडल के कुल मतों का मूल्य 10 लाख 98 हजार 882 होता है. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले राजग के पास 75 हजार 76 मतों की कमी थी. लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद यह फासला घटकर 20 हजार मतों पर आ जायेगा। अगर भाजपा अन्नाद्रमुक के 134 और बीजद के 117 विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही तो वह अपनी पसंद के व्यक्ति को आसानी से राष्ट्रपति बना सकती है. राज्यसभा में भाजपा के फिलहाल 56 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस 59 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कल की जीत के साथ राज्यसभा में भाजपा अगले साल सबसे बड़ी पार्टी बन जायेगी और राजग के सदस्यों की संख्या 100 के करीब हो जायेगी. हालांकि, तब भी वह राज्यसभा में बहुमत से दूर होगी. मायावती की बसपा जो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मात्र 19 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही, वह उन्हें राज्यसभा में दोबारा भेजने की स्थिति में नहीं रहेगी. मायावती का राज्यसभा में मौजूदा कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है।


