किसानों की अात्महत्याएं रोकने के लिए रोडमैप बनाये सरकार
नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने देश में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को ऐसी घटनाओं पर विराम लगाने के लिए तीन सप्ताह के भीतर रोडमैप बनाने का आज निर्देश

नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने देश में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को ऐसी घटनाओं पर विराम लगाने के लिए तीन सप्ताह के भीतर रोडमैप बनाने का आज निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “सिर्फ मरने वाले किसान के परिवार को मुआवजा देना काफी नहीं है। आत्महत्या के कारणों को पहचानना और उनका हल निकालना ज़रूरी है।”
इस मसले पर न्यायालय ने पिछले महीने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था। वर्ष 2014 में गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सिटीजन्स रिसोर्स एंड एक्शन इनिशिएटिव की तरफ से दाखिल याचिका गुजरात को लेकर थी, लेकिन न्यायालय ने इसका दायरा बढ़ा दिया था।
याचिका में दावा किया गया था कि गुजरात में 2003 से 2013 के बीच 619 किसानों ने आत्महत्या की। याचिकाकर्ता की मांग थी कि इन किसानों के परिवारों को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि यह समस्या पूरे देश की है और इसका हल निकाला जाना जरूरी है।
केंद्र सरकार की तरफ से फसल बीमा योजना और दूसरे उपायों का आज अदालत के समक्ष ब्योरा दिया गया। केंद्र की तरफ से कहा गया कि 2015 में शुरू की गयी फसल बीमा योजना से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे आत्महत्या के मामलों में गिरावट की उम्मीद है। केंद्र के वकील ने कहा कि दूसरी योजनाओं के जरिये भी किसानों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की जा रही है कि सूखे जैसे हालात में भी सरकार उनके साथ है।
इस पर न्यायालय ने कहा, “समस्या कई दशक से चली आ रही है। अभी तक इसकी वजहों से निपटने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है। आप हमें सिलसिलेवार तरीके से बताएं कि सरकार क्या करना चाहती है।”
इस मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल के आखिरी हफ्ते में होगी।


