पुराने, अधूरे और झूठे वादों से भरा है भाजपा का घोषणापत्र : स्वराज इंडिया
नई दिल्ली ! भारतीय जनता पार्टी का चुनाव घोषणापत्र ऐसे वादों से भरा पड़ा है जो पुराने, अधूरे और झूठे हैं और कुछ वादे तो ऐसे भी है जो दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आते हैं।

नई दिल्ली ! भारतीय जनता पार्टी का चुनाव घोषणापत्र ऐसे वादों से भरा पड़ा है जो पुराने, अधूरे और झूठे हैं और कुछ वादे तो ऐसे भी है जो दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आते हैं। उक्त बातें स्वराज इंडिया के राष्टï्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहीं। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली नगर निगम के लिए जारी भाजपा का घोषणापत्र बस महज एक खानापूर्ति है और दिखावा है। भाजपा वही पार्टी है जिसने अपने कुशासन और भ्रष्टाचार से पिछले 10 सालो में दिल्ली नगर निगम की कमर तोड़ दी है। एमसीडी की दयनीय हालत की जिम्मेदार भाजपा के पास एमसीडी के चुनाव लडऩे का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा वर्तमान पार्षदों के टिकट काटना खुद भाजपा द्वारा अपने गलत कार्यों की स्वीकृति है। ऐसे में केवल वर्तमान पार्षदों को टिकट न देने से कुछ नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि रविवार को जारी भाजपा के चुनावी घोषणापत्र के वादों के पूरे होने की वास्तविकता को जांचने की जिम्मेदारी नवगठित पार्टी स्वराज इंडिया ने उठाई है। भाजपा ने 2012 के अपने मेनिफेस्टो में हर दरवाजे के बाहर जाकर कूड़ा उठाने और घर से मिलने वाले घरेलू कूड़े का अलगाव कर शहर भर में कचरा प्रबंधन का वादा किया था, लेकिन यह योजना खराब कार्यान्वयन के कारण बुरी तरह विफल रही। दिलचस्प बात यह है की भाजपा फिर से यही वादा कर रही है। वहीं, 2012 में बीजेपी ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों जैसे ऑटो चालकों और घरेलू सहायता कर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्ड का वादा किया था लेकिन बजट प्रस्तुतियों में वादा दोहराते हुए भी इस संबंध में अभी तक कोई प्रगति नहीं की गई है। साल 2012 में बीजेपी ने प्रत्येक वार्ड में एक मेडिकल क्लीनिक स्थापित करने का वादा किया था। मेडिकल क्लीनिक स्थापित करना तो दूर, भाजपा ने अभी तक इस संबंध में जरूरी प्रक्रियाओं की शुरुआत भी नहीं की है। क्या हर साल दिल्ली में हमला करने वाली महामारी डेंगू-चिकनगुनिया के लिए भाजपा ही जिम्मेदार नहीं है।
वहीं,पार्किंग समस्या और अतिक्रमण समस्या को कम करने के लिए 100 मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का वादा किया था। लेकिन आज तक 2012 की पार्किंग परियोजनाएं शुरू नहीं हो पाईं और 2010 के पहले की परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इसके अलावा आरटीआई के माध्यम से पता चलता है कि एमसीडी ने एमसीडी वेब पोर्टल के रखरखाव पर प्रति माह 1 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
इतना अधिक पैसा खर्च करने के बावजूदए एमसीडी वेबसाइट अभी भी ठीक से काम नहीं करती है।


