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इतिहास में पहली बार किसी उच्च न्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय ने सजा सुनाई

नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन को अवमानना का दोषी करार देते हुए

इतिहास में पहली बार किसी उच्च न्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय ने सजा सुनाई
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नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन को अवमानना का दोषी करार देते हुए उन्हें छह महीने कैद की सजा सुनाई। भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय ने किसी उच्च न्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश को सजा सुनाई है।

अदालत ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को अपने आदेश के 'तत्काल' क्रियान्वयन के लिए एक टीम गठित करने का आदेश दिया।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारत के प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों और मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ कर्णन की टिप्पणियों को लेकर उन्हें अवमानना का दोषी मानते हुए इलेक्ट्रॉनिक और पिंट्र मीडिया में उनके बयानों को प्रकाशित/प्रसारित करने पर भी रोक लगा दी है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हमारा एकमत है कि न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन अदालत की अवमानना के दोषी हैं और उन्होंने न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है।"

अदालत ने साथ ही कहा कि वह उन्हें दंड देने और छह महीने के लिए जेल भेजने के अपने फैसले से पूरी तरह संतुष्ट है।

न्यायमूर्ति कर्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शीर्ष न्यायालय और उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जिसके बाद से ही न्यायमूर्ति कर्णन और शीर्ष अदालत के बीच गतिरोध चल रहा था।

पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख अनुज शर्मा ने आईएएनएस से कहा कि वह आगे की कार्रवाई के लिए अभी सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

लेकिन इस बीच न्यायमूर्ति कर्णन चेन्नई पहुंच चुके हैं, जहां वह चेपक में राज्य अतिथि गृह में रुके हुए हैं।

न्यायमूर्ति कर्णन की ओर से वरिष्ठ वकील के. के. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि क्या अदालत कर्णन के सेवानिवृत्त होने का इंतजार कर सकती है? और वह किसी उच्च न्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश को सजा न सुनाए।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि शीर्ष अदालत अवमानना के मामले में इस तरह का भेदभाव नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति केहर ने कहा, "हमारे सामने कोई न्यायाधीश या निजी पक्ष या सरकारी पक्ष नहीं होता। वह भारत के एक नागरिक हैं और यदि वह दोषी पाए गए हैं तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए।"

अदालत ने साथ ही कहा कि कर्णन पूरी तरह स्वस्थ हैं, क्योंकि उन्होंने अदालत द्वारा उनकी जांच के लिए गठित मेडिकल टीम के साथ सहयोग नहीं किया।

अदालत ने कहा कि मेडिकल टीम ने भी उनके खिलाफ कोई बयान नहीं दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति कर्णन की मानसिक जांच का आदेश दिया था, जिसे कराने से उन्होंने इनकार कर दिया था।

इसके बाद न्यायाधीश कर्णन ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केहर सहित शीर्ष अदालत के आठ न्यायाधीशों को अनुसूचित जाति/जनजाति (प्रताड़ना संरक्षण) अधिनियम के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।

न्यायाधीश कर्णन ने इसके अलावा सभी न्यायाधीशों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।


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