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रक्षा बजट में कटौती के लिए सरकार को फटकार

नई दिल्ली ! संसद की एक समिति ने रक्षा मंत्रालय के बजट में पू्जीगत आवंटन कम करने के लिए सरकार को यह कहते हुए फटकार लगायी है

रक्षा बजट में कटौती के लिए सरकार को फटकार
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नई दिल्ली ! संसद की एक समिति ने रक्षा मंत्रालय के बजट में पू्जीगत आवंटन कम करने के लिए सरकार को यह कहते हुए फटकार लगायी है कि इससे सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण का अभियान प्रभावित होगा।
संसद की रक्षा मंत्रालय से संबद्ध स्थायी समिति ने संसद में आज पेश रिपोर्ट में कहा है कि यह बड़ी हैरानी की बात है कि रक्षा मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के साथ पूंजीगत आवंटन बढ़ाने के लिए विस्तार से बातचीत की थी लेकिन इसके बावजूद ये प्रयास सफल नहीं हुए। रक्षा मंत्रालय के मौजूदा वित्त वर्ष में धन के अभाव में अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने में असफल रहने का संज्ञान लेते हुए समिति ने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार यह मामला तत्काल हस्तक्षेप के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया है।
समिति ने उम्मीद जतायी है कि उच्च स्तर पर हस्तक्षेप के कारण सेना के लिए पर्याप्त आवंटन किया जायेगा जिससे कि सेनाओं के आधुनिकीकरण के काम में किसी तरह की बाधा नहीं आयेगी। समिति ने इस बात का भी संज्ञान लिया है कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के हिसाब से भी रक्षा व्यय वर्ष 2000-2001 के 2.36 फीसदी की तुलना में वर्ष 2017-18 में घटकर केवल 1.56 फीसदी रह गया है।
स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार वर्ष 2015 में रूस और अमेरिका का रक्षा व्यय सकल घरेलू उत्पाद का क्रमश 5.4 और 3.3 फीसदी रहा। पडोसी देश का रक्षा व्यय भी वर्ष 2015 में 3.4 फीसदी था। समिति ने कहा है कि 1.56 फीसदी का व्यय सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए काफी कम है। उसका मानना है कि रक्षा मंत्रालय को पूंजीगत आवंटन वैश्विक तर्ज पर किया जाना चाहिए।
वायु सेना की बेहद निराशाजनक तस्वीर
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना ने बेहद निराशाजनक तस्वीर पेश करते हुए कहा है कि अगले 10 वर्षों में उसके लडाकू विमानों का बेड़ा 33 से घटकर मात्र 19 स्कवैड्रन रह जायेगा जो अब तक का सबसे कम होगा। वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय से संबद्ध स्थायी समिति के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण में कहा है कि अगले 10 वर्षों में मिग 21, मिग 27 और मिग 29 लडाकू विमानों के 14 स्कवाड्रन उसके बेड़े से विदा हो जायेंगे जिससे लड़ाकू विमानों के स्कवाड्रनों की संख्या मौजूदा 33 से कम होकर केवल 19 रह जायेगी और वर्ष 2032 में यह 16 तक पहुंच जायेगी जो उसके इतिहास में सबसे कम होगी। संसदीय समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु सेना अपने बेेड़े को बढ़ाने के लिए इसमें सुखोई-30, तेजस और राफेल जैसे लडाकू विमान शामिल करने जा रही है। समिति ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ये हालात अच्छे नहीं हैं और वायु सेना को उपलब्ध करायी जा रही राशि उसकी जरूरतों के अनुरूप नहीं है।


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