जनता के बीच पहुंचकर वोट जुटाने में लगे उम्मीदवार
नई दिल्ली ! नगर निगम चुनाव के लिए प्रचार करने में निर्दलीय उम्मीदवार किसी भी मामले में मुख्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों से कम नहीं हैं।

नई दिल्ली ! नगर निगम चुनाव के लिए प्रचार करने में निर्दलीय उम्मीदवार किसी भी मामले में मुख्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों से कम नहीं हैं। सुबह से लेकर देर रात तक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में डटे रहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रचार के लिए ये भी उन्हीं संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कर रही है। वे घर-घर जाकर मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं। स्थानीय लोग भी गर्मजोशी से निर्दलीय उम्मीदवारों को स्वागत कर रहे हैं। तीनों नगर निगमों के लिए हो रहे चुनावों में ताल ठोंक रहे कुल 2537 उम्मीदवारों में से 1174 निर्दलीय हैं।
ये उम्मीदवार सीटी, बाल्टी, बैट, टॉर्च, पतंग, गुब्बारा, मोमबत्ती, बांसुरी, ऑटो-रिक्शा, गैस सिलेंडर, मेज आदि रोचक नामों वाले चुनाव चिह्न पर नगर निगम चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर वार्ड से निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व निगम पार्षद निक्की सिंह का कहना है कि प्रचार के माध्यम से लोगों के बीच उनकी अपनी पहचान बनती है। साथ ही वे उन्हें चुनावी मुद्दों के बारे में जागरूक कर पाते हैं क्योंकि मुख्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवार प्रचार के दौरान मुद्दों को गौण कर देते हैं। इन उम्मीदवारों के मुताबिक, अलग तरह का चुनाव चिह्न होने की वजह से भी लोगों के बीच में उनकी पहचान बन जाती है। स्थानीय निवासी रिजवान खान बताते हैं कि घर पर बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार वोट मांगने के लिए आ रहे हैं। यह देखकर बड़ा ताज्जुब होता है कि प्रचार में जितना पैसा बड़े राजनीतिक दल के उम्मीदवार खर्च कर रहे हैं, निर्दलीय उम्मीदवार भी उनसे कम पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं।
मतदान से पहले प्रत्याशियों ने अंतिम रविवार को खूब भुनाया
अगले सप्ताह रविवार सुबह इस समय दिल्ली में निगम चुनाव के लिए मतदान हो रहा होगा। शुक्रवार शाम तक चुनाव प्रचार थम जाएगा। इससे पहले चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की कोशिश घर-घर जाकर सीधे लोगों से मिलने की अधिक है। इस लिहाज से आज एकमात्र ऐसा दिन बचा है जिसमें अधिकांश लोग घरों में मिलेंगे। मतदान पूर्व अंतिम रविवार होने से पार्टी के बड़े नेताओं से लेकर मैदान में उतरे प्रत्याशियों के लिए आज का दिन खास है। जिसकी सूचना प्रत्याशियों ने अपने वरिष्ठ नेताओं को भी दे दी है। रविवार को अमूमन देर से सोकर उठने वाले लोगों को प्रत्याशियों ने सुबह सवेरे ही उठा दिया। सभी प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों संग सुबह से ही क्षेत्र में प्रचार के लिए निकल पड़े। सबसे पहले पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर वार्ड निर्दलीय चुनाव में उतरी पूर्व निगम पार्षद निक्की सिंह और उनके पति संजय सिंह ने अपने समर्थकों संग एक रैली निकाल लोगों से वोट मांगे। वहीं बसपा से उम्मीदवार गीता रस्तोगी के समर्थकों ने भी सुबह से ही प्रचार शुरु कर दिया। इसके अलावा सपा, कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी क्षेत्र में जोरदार प्रचार कर अपने-अपने पक्ष में वोट मांगे। वहीं दूसरी ओर देशभक्ति के गीत अमूमन 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी के आसपास ही सुनाई देते हैं। 26 जनवरी को बीते ढाई महीने हो चुके हैं और 15 अगस्त आने में चार महीने बाकी हैं। मगर, इन दिनों गलियों, नुक्कड़ों, सडक़ों और चौराहों पर देशभक्ति के गीत बड़ी आसानी से सुनाई दे जाते हैं। इसकी वजह चुनावी माहौल है। सुबह उठते ही सहसा ध्यान गलियों में गूंजते देशभक्ति के गानों पर जाता है और लोग उन्हें गुनगुनाने भी लगते हैं। इसी बीच प्रत्याशी का नाम एवं चुनाव चिह्न एवं वोट देने की अपील चल जाती है, जिसके पहले की श्रोता झुंझलाए गाना दोबारा बजने लगता है। प्रत्याशी भी लोगों के दिल में इसी तरह उतर जाएं, शायद इसीलिए देशभक्ति के गीतों का सहारा लिया जा रहा है।
कार, जीप प्रचार से दूर हो गए है। शायद कॉलोनियों की गलियां इस काबिल नहीं रह गई हैं, लेकिन अब इन जगहों को ई-रिक्शा ने ले लिया है। यह अलग बात है कि कभी इस तरह के प्रचार के दौरान दो चार लोग इन वाहनों पर होते थे। अब एक ई-रिक्शा चालक ही लाउडस्पीकर के सहारे उम्मीदवार के लिए वोट देने की अपील करता नजर आ रहा है।
अपील की रोचकता बनी रहे इस खातिर बीच-बीच में देशभक्ति से ओतप्रोत गीतों की धुन छेड़ दी जाती है। वंदे मातरम., मेरे देश की धरती सोना उगले., ये देश है वीर जवानों का., हम लाए हैं तूफान से. जैसे गीतों बजाए जा रहे हैं। प्रचार में देशभक्ति के गीतों को बजाने का उद्देश्य रोचकता बरकरार रखना है। शायद यही वजह है कि कई प्रत्याशी रोचक फिल्मी गीतों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।


