मोदी सरकार का बड़ा फैसला : पुराना ओबीसी आयोग होगा समाप्त,अब संसद देगी आरक्षण
नई दिल्ली ! मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनएसईबीसी) के गठन को मंजूरी

नई दिल्ली ! मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनएसईबीसी) के गठन को मंजूरी दे दी गई। इस आयोग को संवैधानिक संस्था का दर्जा मिलेगा। इसके लिए सरकार संविधान में संशोधन करेगी। इस आयोग की सिफारिश के बाद संसद की तरफ से पिछड़ा वर्ग में नई जातियों के नाम जोड़े जाने या हटाए जाने पर फैसला करेगी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 में बना था। यह जम्मू-कश्मीर को छोडक़र पूरे भारत में लागू है। एक फरवरी 1993 से यह लागू है। इस आयोग का काम नागरिकों के किसी वर्ग की सूची में पिछड़े वर्ग के रूप में शामिल किए जाने के अनुरोधों की जांच करना है। साथ ही यह केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है जो उसे उचित लगता है। आयोग को कुछ शक्तियां मिली हुई हैं जिनमें वह देश के किसी भी हिस्से से किसी व्यक्ति को समन करने और हाजिर कराने का अधिकार रखता है। किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने को भी आयोग कह सकता है। आयोग का एक अध्यक्ष होता है, जो सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश होता है। आयोग में अध्यक्ष के अलावा चार अन्य सदस्य होते हैं, जिनमें एक समाज विज्ञानी, पिछड़े वर्गों से संबंधित मामलों का विशेष ज्ञान रखने वाले दो व्यक्ति और एक भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं।
कई राज्यों में लगातार भडक़ रही आरक्षण की आग
गौरतलब है कि हरियाणा में जाट आंदोलन नए आयोग का गठित किए जाने के फैसले के पीछे बड़ी वजह कहा जा रहा है। यूपीए सरकार ने जाटों को ओबीसी में शामिल कर लिया था पर बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक बताते हुए फैसले को पलट दिया था। न्यायालय ने कहा था कि केवल जाति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। गुजरात में पाटीदार, राजस्थान में गुर्जर भी आरक्षण की मांग को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं।
अनुसूचित जातियां आदेश विधेयक लोकसभा में पारित
ओडिशा की दो जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने तथा पांडिचेरी का नाम पुदुचेरी करने से संबंधित संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश (संशोधन विधेयक) 2017 को लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिये राज्य की दो अनुसूचित जातियों सुआलगिरि और स्वालगिरी को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया जाना है तथा पांडिचेरी का नाम बदलकर पुदुचेरी करना है।


