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संसाधनों के अभाव में दिल्ली पुलिस

नई दिल्ली ! देश की राजधानी में हाईटेक संसाधनों के साथ हवा में उडऩे वाली दिल्ली पुलिस के पास सडक़ों पर चलने के लिए भी ‘दूसरे का मुंह’ देखने के सिवा कोई चारा नहीं है

संसाधनों के अभाव में दिल्ली पुलिस
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नई दिल्ली ! देश की राजधानी में हाईटेक संसाधनों के साथ हवा में उडऩे वाली दिल्ली पुलिस के पास सडक़ों पर चलने के लिए भी ‘दूसरे का मुंह’ देखने के सिवा कोई चारा नहीं है और वाहनों के मामले में दिल्ली पुलिस बेहद लाचार दिखती है। पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों के पास बेशक सरकारी गाडिय़ां हो, एसएचओ अपनी जिप्सी से इलाके की गश्त करते हों, लेकिन आपात स्थिति में दिल्लीवासियों को राहत पहुंचाने वाले वाहनों का कुछ जिलों में अकाल पड़ा हुआ है। पूरी दिल्ली तो दूर, जिस जिले में पुलिस मुख्यालय स्थित हैं, वहीं अधिकारी बैठकों में वाहनों की कमी का मामला उठा चुके हैं। अगर सिर्फ आपातकालीन स्थिति में राहत देने वाले वाहन (ईआरवी) की बात करें, तो राजधानी की सडक़ों पर पुलिस की कुल 148 ईआरवी चलती है, लेकिन मध्य जिले के हिस्से में महज चार ईआरवी शामिल है, जबकि सिर्फ थाने ही जिले में 15 हैं। ऐसा नहीं है कि सभी जिलों में ऐसे ही हालात हैं, क्योंकि दक्षिण, दक्षिण पूर्वी, दक्षिण पश्चिमी जिलों में क्रमश: ईआरवी की संख्या 16, 17 व 13 बाहरी व पश्चिमी जिले में 12-12 ईआरवी इलाके में रहते हैं। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण जिलों में शुमार मध्य, उत्तरी व नई दिल्ली जिला में ईआरवी की हालत बदतर हैं, क्योंकि मध्य व उत्तरी जिले को महज चार-चार ईआरवी मिली है, जबकि नई दिल्ली जिले में पांच ईआरवी दी गई है। हां, दिल्ली पुलिस के अधिकारी यह जरूर दावा करते हैं कि ईआरवी की कमी को पूरा करने के लिए जिलों में क्विक रिसपांस टीम (क्यूआरटी) दी गई हैं, लेकिन वहां भी पुलिसकर्मियों को दिल्ली की पहरेदारी में समस्याएं आती है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वीवीआई मूवमेंट, अंतरराष्टï्रीय स्टेडियम और दिल्ली सचिवालय सहित पुलिस मुख्यालय को अपनी परिधि में समेटे मध्य जिले के पास महज दस क्यूआरटी गाडिय़ां हैं और इन गाडिय़ां का प्रयोग भी फजीहत भरा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस के पास ठेके पर क्यूआरटी गाडिय़ां मिली हैं, लेकिन अनौपचारिक रूप से चालकों अथवा कंपनियों से सौ किलोमीटर से ऊपर चलाए जाने पर गाड़ी बंद कर देने का नियम बना लिया है, जबकि दिल्ली हमेशा से ही आतंकियों के निशाने पर रही है, ऐसे में यह लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण हो सकती हे। क्यूआरटी वाहन में 24 घंटे निजी चालक होने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन रात में कई बार चालक चले जाते हैं, तो कई बार एसएचओ को आपात स्थिति के लिए मजबूरन चालक से चाभी मांगनी पड़ती है, क्योंकि चालक घर जाना चाहता है।
सबसे महत्वपूर्ण थाने की सबसे खस्ताहाल स्थिति!
मध्य जिले में सुरक्षा की दृष्टिï से आईपी इस्टेट थाना अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि दिल्ली सचिवालय के साथ पुलिस मुख्यालय भी इसी के अंर्तगत आता है। तमाम बड़े अखबारों के दफ्तर भी यहीं है, लेकिन संसाधनों का अभाव इस कदर है कि थाने में न कोई ईआरवी मौजूद है और न ही क्यूआरटी। थाने का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि सचिवालय के बाहर कई बार राजनीतिक दलों का प्रदर्शन होता है।


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