बाबू जगजीवन राम को भारत रत्न दिया जाये: विजय
नयी दिल्ली ! राज्यसभा के पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) के विचारक तरुण विजय ने आज महान स्वतन्त्रता सेनानी एवं दिवंगत उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को भारत रत्न देने की मांग करते हुए

नयी दिल्ली ! राज्यसभा के पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) के विचारक तरुण विजय ने आज महान स्वतन्त्रता सेनानी एवं दिवंगत उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को भारत रत्न देने की मांग करते हुए कहा कि समाज के वंचित वर्गों को आरक्षण देकर हम उन पर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग दलितों के साथ भोजन करके मीडिया में प्रचार करते हैं और यह जताते हैं कि वे उन पर कोई उपकार कर रहे हैं। श्री विजय ने आज यहाँ राजेंद्र भवन ट्रस्ट में बाबू जगजीवन राम स्मृति व्याख्यान देते हुए यह बात कही। इस अवसर पर पूर्व लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा के सदस्य एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव देवी प्रसाद त्रिपाठी भी मौजूद थे। समारोह की अध्यक्षता कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल एवं ट्रस्ट के उपाध्यक्ष टी एन चतुर्वेदी ने की। पाञ्चजन्य के पूर्व संपादक श्री विजय ने बाबू जगजीवन राम को अपना नायक बताते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय राजनीति एवं समाज में सामाजिक समरसता बढ़ाने में जो योगदान दिया है उसका उचित मूल्यांकन नहीं हुआ है और उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबू जी ने हिन्दू धर्म की मूल भावना से जीया और बिना किसी कटुता के जीवन व्यतीत किया और राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का सन्देश दिया। वह रानी और मेत्रनी दोनों को सामान मानते थे क्योंकि दोनों का वोट एक है। श्री विजय का यह भी कहना था कि आरएसएस में किसी कि जाति पूछी नहीं जाती और मैंने खुद अंतरजातीय विवाह किया लेकिन जब उत्तराखंड में दलितों को लेकर प्रवेश करने की कोशिश की तो शिक्षित समाज की और से मुझ पर पत्थर मारे गए और हम लोग बाल बाल बचे। श्री देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि बाबू जगजीवन राम मुख्यधारा की राजनीति में रहे और देश के विकास में बड़ा योगदान दिया लेकिन उन पर कोई अच्छी किताब या फिल्म भी नहीं है लेकिन कमलापति त्रिपाठी जैसे ब्राह्मणवादी नेता उनका विरोध करते थे। श्री चतुर्वेदी ने बाबू जगजीवन राम के साथ अपने पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि बाबू जी देश के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हो सकते थे लेकिन भारत को ऐसा प्रधानमंत्री नहीं मिला।


