Top
Begin typing your search above and press return to search.

न्यायाधीशों के तबादले में विलंब का जवाब दे केंद्र : सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली | कॉलेजियम की सिफारिश के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण में हो रहे विलंब को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

न्यायाधीशों के तबादले में विलंब का जवाब दे केंद्र : सर्वोच्च न्यायालय
X

नई दिल्ली ! कॉलेजियम की सिफारिश के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण में हो रहे विलंब को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, क्योंकि उसे पहले ही कहा गया था कि गुजरात के न्यायमूर्ति एम.आर.शाह का तबादला सहित कॉलेजियम की कई सिफारिशें 22 फरवरी, 2016 से ही लंबित हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने न्यायालय का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि केंद्र सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा स्थानांतरण की फाइलें दबाकर बैठी है। उन्होंने कहा, "न्याय प्रशासन के सथा क्या हो रहा है, केवल यह देखिए। किसी अधिकारी को तो सबक सिखाना होगा।"

न्यायाधीशों के स्थानांतरण तथा नियुक्ति को लेकर सरकार की आलोचना पर महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने न्यायालय से कहा कि नवंबर 2016 में ही सभी फाइलों को मंजूरी मिल चुकी है और कुछ भी लंबित नहीं है।

उन्होंने कहा, "कॉलेजियम ने न्यायाधीश के रूप में उन 37 नामों को फिर से दोहराया था, जिसे सरकार लौटा चुकी थी। उसे आगे बढ़ाने में छह सप्ताह का समय लगा और छह सप्ताह का वक्त आज खत्म हो रहा है।"

महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है, जिस पर चुटकी लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता यतीन ओझा ने कहा कि प्रक्रिया काफी अस्पष्ट प्रतीत होती है।

ओझा ने कहा कि न्यायमूर्ति शाह को गुजरात उच्च न्यायालय से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया जाना है और यह फाइल 22 फरवरी, 2016 से ही प्रधानमंत्री कार्यालय में एक अधिकारी के टेबल पर फंसी है, जबकि इससे पहले कई बार सिफारिशें की गईं।

उन्होंने कहा कि काफी लंबे वक्त से सरकार उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ को हैदराबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की फाइल दबाकर बैठी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुभ्रो कमल मुखर्जी का उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के रूप में स्थानांतरण लटका हुआ है, जिसके कारण एक न्यायाधीश के कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरण प्रभावित हो रहा है।

न्यायालय ने सरकार को जवाब दाखिल करने तथा न्यायाधीशों के स्थानांतरण में हो रहे विलंब का कारण बताने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it