Top
Begin typing your search above and press return to search.

‘ईवीएम की सत्यता का पुन: मूल्यांकन करे चुनाव आयोग’

नई दिल्ली ! हालिया सम्पन्न चुनावों के बाद जहां विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदान प्रक्रिया के दौरान ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के इस्तेमाल और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

‘ईवीएम की सत्यता का पुन: मूल्यांकन करे चुनाव आयोग’
X

नई दिल्ली ! हालिया सम्पन्न चुनावों के बाद जहां विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदान प्रक्रिया के दौरान ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के इस्तेमाल और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से छेड़छाड़ का मुद्दा भी लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। ईवीएम संबंधी वाद-विवाद को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करने वाले वीवी राव और तहसीन पूनावाला ने बुधवार को राजधानी के कॉन्स्टीट्यूश्न क्लब में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया।

उन्होंने ईवीएम और वीवीपैट निर्माताओं को लगभग 3256 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने से पहले ईवीएम एवं वीवीपैट की निष्पक्षता, सत्यता, जवाबदेही और पारदर्शिता का पुन: मूल्यांकन करने की अपील चुनाव आयोग से की है।
इस दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र से भी मीडिया कर्मियों को रूबरू कराया गया। साथ ही ईवीएम से जुड़े विभिन्न तथ्यों, मुद्दों व पहलुओं को भी सामने रखा। राव ने बताया कि ईवीएम में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद 13 राजनीतिक दलों के अध्यक्ष एक साथ भारत के चुनाव आयोग से मिले एवं याचिकाकर्ता और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए मतदाता सत्यापन पत्र के ऑडिट ट्रायल की आवश्यकता पर जोर दिया। पूनावाला के मुताबिक, याचिकाकर्ता एवं चुनाव आयोग के मध्य पिछले 4 वर्षों से जारी पत्राचार (लगभग 50 पत्र एवं सूचना के अधिकार के आदान प्रदान) के जरिये ईवीएम पर नजर रखने और उसे छेड़छाड़ मुक्त करने में आयोग की अक्षमता सम्बन्धी कई तथ्य सामने आए हैं। उधर, तकनीकी विशेषज्ञों ने यह सिद्ध कर दिया है कि ईवीएम से छेड़छोड़ की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि वीवीपैट के साथ वर्तमान ईवीएम में जब बटन दबाया जाता है तो उसमें मत अंकित हो जाता है। लेकिन मतदाता के पास ऐसा कोई साधन नहीं है कि वह यह जान सके कि उसका मत, उसके द्वारा चुने गये उम्मीदवार को ही गया है। अगर वह मत अस्पष्ट है तो भी उसकी गिनती के आधार पर चुनाव के परिणाम की घोषणा कर दी जाती है। वह स्लिप जिस पर मतदाता का चुनाव चिन्ह अंकित है उसकी गिनती नहीं की जाती। यह अस्पष्टता वीवीपैट के साथ वाले ईवीएम में बनी हुई है।
इससे मतदाता को वह भरोसा नहीं मिलता जो उसे कागज के मत पत्र (बैलट पेपर) के इस्तेमाल से मिलता था। अगर मतदाता को अपने मतदान का पूरा भरोसा नहीं मिला तो अस्पष्टता बनी रहेगी और इस प्रणाली से संविधान की धारा 19-1-अ के अन्तर्गत मतदाता की अभिव्यक्ति के मूल अधिकार की पूर्ण एवं पारदर्शी अभिव्यक्ति नहीं हो पाएगी। लिहाजा ईवीएम की से मतदान की प्रक्रिया यह दर्शाने में सक्षम होनी चाहिए कि मतदाता का चुनाव और प्रिन्ट किया गया स्लिप एक से हो। अब चुनाव प्रक्रिया की सत्यापनियता, पारदर्शिता और उसकी जवाबदेही को पुन: स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग पर है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it