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हिंदी को संवार रहे नए रचनाकार

बदलते समय के साथ हिंदी में भी बदलाव हो रहा है।

हिंदी को संवार रहे नए रचनाकार
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लखनऊ | बदलते समय के साथ हिंदी में भी बदलाव हो रहा है। वह नए जमाने के हिसाब से कदमताल करती नजर आ रही है। हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में जिस कदर अंग्रेजी का प्रचार प्रसार हुआ, उसका नुकसान हिंदी को ही हुआ। किताबों में कठिन शब्दों के प्रयोग ने भाषा को जटिल बना दिया है। हालांकि बीते कुछ वर्षों में स्थितियां बदली हैं और युवा लेखकों ने हिंदी कहानियों को सरल हिंदी भाषा में लिखना शुरू किया जिससे हिंदी के पाठक वर्ग का व्यापक विस्तार हुआ है।

प्रकाशकों ने भी युवा लेखकों को तरजीह दी तो एक नई तस्वीर उभर कर आयी है। कुछ ही महीनों में ही इन लेखको की किताबें सर्वश्रेष्ठ विक्रेता बनीं। इतना ही नहीं पाठकों के बीच में उनकी अच्छी छवि भी बनी। जैसे अंग्रेजी के लेखकों से पाठक मिलने और उनके साथ तस्वीर खिंचाने को आतुर रहते हैं ठीक वैसे ही हिंदी के इन नए चेहरों के प्रति दीवानगी देखी जाती है। ये नए चेहरे आज हर साहित्य उत्सव की शान होते हैं।

लेखकों के साथ साथ प्रकाशकों ने भी हिंदी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने का काम किया है। राजकमल प्रकाशन, राजपाल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, हिंद पॉकेट बुक्स, हिंद युग्म और रेडग्रैब बुक्स जैसे प्रकाशनों ने युवाओं को जिस तरह तरजीह दी, वह वाकई मील का पत्थर साबित हुई। इन प्रकाशकों ने किताबों का प्रकाशन उसी गुणवत्ता के साथ किया जैसे अंग्रेजी की किताबों का होता है।

हिंदी एक नई राह पर चल निकली है। अभी यह शुरूआत ही है, लंबी दौड़ बाकी है। यह लेखक लिखने के साथ दिखने और बिकने पर भी ध्यान देते हैं और यह अपनी किताबों की भरपूर प्रचार भी करते हैं। हिंदी दिवस के अवसर पर ऐसी ही कुछ लेखकों और उनकी कृतियों के बारे में आपको बता रहे है।

युवा लेखक कुलदीप राघव हिंदी कहानियों में रोमांस और इश्क का तड़का लगा रहे हैं। 'आईलवयू' और 'इश्क मुबारक' जैसी पुस्तकों से उन्होंने युवाओं के दिल में जगह बनाई है। उनकी किताबों को युवाओं ने हाथों हाथ लिया और अमेजन पर नंबर 1 बेस्ट सेलर बनाया। कुलदीप को उनकी कृति के लिए यूपी सरकार की ओर से हिंदुस्तानी अकादमी युवा लेखन पुरस्कार भी मिलने जा रहा है।

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 'बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' पुरस्कार 2017 से सम्मानित हो चुके लेखक भगवंत अनमोल भी अपने जुदा अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनकी किताब 'जिंदगी 50-50' और 'बाली उमर' खूब चर्चित हैं। बेस्ट सेलर लेखक भगवंत ने 'बाली उमर' में बचपन की यादों को पिरोया तो यह कहानी पाठकों के दिल में उतर गई।

लेखक नवीन चौधरी का उपन्यास 'जनता स्टोरी' खूब चर्चा में रहा है। इस उपन्यास में बीती सदी के अंतिम दशक की छात्र-राजनीति के दांव-पेंच और उन्हीं के बीच पलते और दम तोड़ते मोहब्बत के किस्सों को बहुत जीवंत ढंग से दिखाया गया है।

दर्जन भर ऐसे लेखक है जो हिंदी साहित्य को स्वर्णिम युग की तरफ ले जाने का काम कर रहे हैं। नई वाली हिंदी के लेखक सत्य व्यास की किताब '1984' काफी चर्चित है। यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है।

दिव्य प्रकाश दुबे की 'मुसाफिर कैफ' और 'अक्टूबर जंक्शन' जैसे उपन्यासों को देशभर में सराहा गया। हाल ही में आई उनकी नई किताब 'इब्नेबतूती' को भी पाठकों का प्यार मिल रहा है। सरल भाषा में क्राइम आधारित किताब 'नैना' ने भी खूब चर्चा बटोरी है। लेखक संजीव पालीवाल ने आम बोलचाल की भाषा में कहानी लिखते हुए रोचकता का नया उदाहरण पेश किया।

इसी तरह नीलोत्पल मृणाल की 'डार्क हॉर्स' और 'औघड़', अंकिता जैन की 'ऐसी वैसी औरत' और 'बहेलिए', निशान्त जैन की 'रुक जाना नहीं', अनु सिंह चौधरी की 'नीला स्कार्फ', अणुशक्ति सिंह की 'शर्मिष्ठा', विजय श्री तनवीर की 'अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार', जैसी कहानियों को पाठक पसंद कर रहे हैं।


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