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कभी जूते खरीदने के पैसे नहीं थे, अब क्रिकेट से मिला 10 लाख का चेक

सोनम यादव के परिवार के पास कभी उनके लिए जूते खरीदने के पैसे नहीं थे, लेकिन अब वो 10 लाख रुपयों की कमाई के साथ क्रिकेट के अपने करियर में अगले पायदान पर चढ़ने वाली हैं. सोनम पहले टी20 महिला प्रीमियर लीग में खेलने वाली हैं.

कभी जूते खरीदने के पैसे नहीं थे, अब क्रिकेट से मिला 10 लाख का चेक
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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की रहने वाली सोनम के पिता कांच की एक फैक्ट्री में काम करते हैं. जब उन्हें लगा कि उनकी मासिक पगार छह भाई-बहनों में सबसे छोटी सोनम के सपनों को पूरा करने के लिए काफी नहीं है तो उन्होंने दो शिफ्टों में काम करना शुरू कर दिया. पिता की मेहनत में हाथ बटाने के लिए सोनम के भाई ने पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगा.

लेकिन आज सोनम की उपलब्धियों पर ना सिर्फ उनके परिवार और गांव वाले गर्व महसूस कर रहे हैं, बल्कि महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में चयन से मिली धनराशि ने सोनम को अपने परिवार की जिंदगी बदल देने का सपना दे दिया है. उन्हें मिलने वाली रकम पुरुषों के आईपीएल के सामने तो बौनी है, लेकिन उनके पिता की मासिक पगार से 100 गुना ज्यादा है.

परिवार का संघर्ष

सोनम का गांव अक्सर बिजली चले जाने से अंधेरे में डूब जाता है और वहां नल का पानी हाल ही में नसीब हुआ है. लेकिन जब उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए उस दिन गांव में जश्न मनाया गया. वो प्रतियोगिता में शामिल की जाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी हैं.

सोनम कहती हैं, "मेरे पिता की तनख्वाह में परिवार का बहुत मुश्किल से गुजारा हो पाता है. हमें पैसों को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है." उन्होंने आगे कहा, "मेरे कई सपने हैं. मैं अपने परिवार को बाहर खाना खिलाने ले जाना चाहती हूं और अपने पिता को एक बड़ी गाड़ी देना चाहती हूं."

सोनम के घर के पास ही एक खुला नाला है और उनके परिवार को अक्सर चूहों और आवारा कुत्तों के हमलों का भी सामना करना पड़ता है. उनके जर्जर घर की दीवारों से पपड़ी झड़ रही है लेकिन उन्हीं दीवारों को सोनम की चमचमाती हुई ट्रोफियां और मोमेंटो जैसे नई जिंदगी दे रही हैं.

53 साल के उनके पिता मुकेश कुमार कहते हैं, "हमारे पास क्रिकेट का महंगा सामान खरीदने के पैसे नहीं थे. उसके पास तो सही जूते भी नहीं थे. एक बार एक प्रतियोगिताके ट्रायल में जाने के लिए उसे जूते किसी से उधार लेने पड़े थे." लेकिन सोनम अब अपने और अपने परिवार के हालात को पूरी तरह से बदल देने के लिए तैयार हैं.

उनके कोच रवि यादव उनकी लगन को याद करते हुए कहते हैं, "चाहे रविवार हो या कोई भी और दिन, चाहे बारिश हो रही यो या कड़ी धूप हो, ऐसा कभी नहीं हुआ कि वो प्रैक्टिस के लिए ना आई हो. वो बहुत मेहनती और अनुशासन-बद्ध है. उसका भविष्य बहुत उज्जवल है."

डब्ल्यूपीएल शनिवार चार मार्च को शुरू होगी और वह ठीक उसी तरह दुनिया भर में महिला क्रिकेट को बदल सकती है जिस तरह आईपीएल ने पुरुषों के क्रिकेट को बदल दिया. बीसीसीआई ने जनवरी में पांच शुरुआती टीमों के लिए फ्रैंचाइजी राइट 57.25 करोड़ रुपयों में नीलाम किए. पहले पांच सीजनों के लिए मीडिया राइट को 11.6 करोड़ में बेचा गया.

बदल दिया नजरिया

इन दो सौदों की बदौलत यह दुनिया की दूसरे सबसे ज्यादा कीमती महिला स्पोर्टिंग लीग बन गई. पहले नंबर पर अमेरिका की डब्ल्यूएनबीए बास्केटबॉल है. रवि यादव कहते हैं, "डब्ल्यूपीएल महिला क्रिकेट को जबरदस्त रूप से बदल देगी. बीसीसीआई पुरुषों और महिलाओं के लिए बराबर वेतनभी ले कर आ गया है तो इसका भी बहुत बड़ा असर होगा."

सोनम को लोकप्रियता पहली बार तब मिली जब वो जनवरी में भारत की अंडर-19 टीम में शामिल हो कर विश्व कप खेलने दक्षिण अफ्रीका गईं. भारत ने कप जीत लिया और पूरी टीम को बहुत सराहना मिली. सोनम के परिवार ने उनको खेलते हुए देखने के लिए किराए पर टीवी लिया.

जब वो वापस आईं तो उन्हें हीरो जैसा स्वागत दिया गया. प्रशंसकों ने भारत के झंडे लहराए और आतिशबाजी की. यहां तक की जिलाधिकारियों ने भी सोनम को बधाई दी. उनके पिता ने बताया, "उस दिन हमें उस पर बहुत गर्व महसूस हुआ. गांव वाले हमें तुच्छ समझते थे, लेकिन अब वो भी उसकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं."

चॉकलेट और आइस क्रीम पसंद करने वाली सोनम खुद पुरुषों की राष्ट्रीय टीम के बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं. उन्हें उम्मीद है कि डब्ल्यूपीएल उनके लिए महिलाओं की सीनियर टीम के लिए खेलने का सपना पूरा करने का एक पायदान होगा.

वो कहती हैं, "मुझे सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेल कर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. मैं बस यही चाहती हूं कि मैं एक दिन राष्ट्रीय सीनियर टीम के लिए खेलूं और अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी दे सकूं."


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