भतीजे अखिलेश को नेता मानने को तैयार हैं शिवपाल यादव
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (नेता जी) अब दोनो हाथ में लड्डू लिए घूम रहे हैं

- रतिभान त्रिपाठी
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (नेता जी) अब दोनो हाथ में लड्डू लिए घूम रहे हैं। उनकी मुहिम रंग लाई। सैफई के यादव परिवार में बरसों से चल रहा विवाद अब खात्मे की ओर है। विवाद की वजह बने उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव आखिरकार अब अपनी जिद छोड़ भतीजे अखिलेश यादव को सहयोग करने को तैयार हो गए हैं।
उनके लिए राष्ट्रीय महासचिव जैसा पार्टी का बड़ा पद सौंपने की तैयारी की जा चुकी है। इसकी घोषणा किसी दिन भी की जा सकती है। पिछले तकरीबन दो साल से बागी तेवर अपनाए शिवपाल सिंह यादव अब अखिलेश यादव के प्रति नरम दिखने लगे हैं। परिवार में पिछले दिनों कई चक्रों में चली पंचायत के बाद तय कर लिया गया कि शिवपाल सिंह यादव अब नेता जी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की मांग नहीं करेंगे। इसके साथ ही अपने लिए प्रदेश अध्यक्ष पद की जिद भी नहीं करेंगे। इसके बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चाचा को राष्ट्रीय महासचिव पद देने को राजी हैं। इस पर राम गोपाल यादव की भी सहमति बताई जा रही है।
छह साल पहले अपने बेटे अखिलेश यादव को सरकार सौंपने वाले मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी भी उन्हें सौंप दी। लेकिन शिवपाल सिंह यादव को ही नहीं, समाज में भी कुछ ऐसा संदेश दिया, जैसे कि अखिलेश यादव ने उनसे पार्टी छीन ली है। यह जानकार कहते हैं कि यह नेताजी का प्रायोजित कार्यक्रम था। इसका खुलासा भी तब हो गया जब पार्टी में बंटवारे की नौबत आ गई।
चुनाव आयोग तक पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने आयोग को कुछ भी लिखकर नहीं दिया। अगर वह लिखकर दे देते तो पार्टी का चुनाव चिन्ह खतरे में पड़ जाता लेकिन जान-बूझकर उन्होंने ऐसा नहीं किया। बीते मार्च में लोकसभा उप चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर में सपा की जीत से अखिलेश यादव का नेतृत्व पार्टी में ठीक से स्थापित हो गया।
शिवपाल को लगा कि अब विरोध करने से कुछ हासिल नहीं हो पाएगा। नेताजी की रणनीति भी उनकी समझ में आ गई। इस पर वह भतीजे का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार हो गए। अब भाजपा के खिलाफ बयानबाजी भी करने से चूक नहीं रहे, जबकि एक दौर ऐसा भी आया कि उनके भाजपा में जाने के कयास लगाए जाने लगे थे।


