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नेपाल : शिक्षा सुधारों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों और पुलिस में झड़प

नेपाल के न्यू बानेश्वर में रविवार को प्रदर्शनकारी शिक्षकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। यह जानकारी स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में दी गई है

नेपाल : शिक्षा सुधारों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों और पुलिस में झड़प
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काठमांडू। नेपाल के न्यू बानेश्वर में रविवार को प्रदर्शनकारी शिक्षकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। यह जानकारी स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में दी गई है।

टकराव तब शुरू हुआ जब शिक्षक बिजुलीबाजार से न्यू बानेश्वर तक की सड़क पर जमा हुए और उन्होंने उस इलाके में जाने की कोशिश की, जहां जाने की अनुमति नहीं थी। इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।

तनाव तब और बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके। काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक, पत्थरबाजी के जवाब में पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और पानी की तेज बौछारें चलाईं।

शिक्षक संघ नेपाल, जो स्कूल शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है, पिछले 25 दिनों से प्रदर्शन कर रहा है। वे चाहते हैं कि सरकार स्कूल शिक्षा अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करे, जिसमें उनकी कई मांगें शामिल हैं।

आंदोलनकारी शिक्षक विधेयक पारित होने और उनकी चिंताओं का समाधान होने तक अपना विरोध जारी रखने पर अड़े हुए हैं।

प्रदर्शनकारी शिक्षकों की एक प्रमुख मांग यह है कि उन्हें सिविल सेवकों के समान वेतन और भत्ते दिए जाएं। अन्य मांगों में ग्रेड का भुगतान, राहत कोटा शिक्षकों के लिए भत्ते और सिविल सेवा अस्पताल में एक अलग समर्पित अस्पताल या रियायती स्वास्थ्य जांच सेवाओं की स्थापना शामिल है।

आंतरिक प्रतियोगिताओं के माध्यम से अस्थायी शिक्षकों को स्थायी दर्जा प्रदान करना एक अन्य प्रमुख मांग है।

इसके अलावा, शिक्षकों ने संघीय सरकार के तहत आने की भी मांग की है, लेकिन इस मांग की आलोचना हो रही है कि यह संविधान की भावना के खिलाफ है, इसलिए इसे कम अहमियत दी गई है।

आंदोलन शुरू हुए लगभग एक महीने बाद, शनिवार को सरकार और स्कूल शिक्षकों के बीच बातचीत बिना किसी समझौते के खत्म हो गई।

प्रदर्शनकारी स्कूल शिक्षा अधिनियम को तुरंत लागू करने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

इस बीच, नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अस्थायी आदेश जारी किया, जिसमें सरकार से प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों की सही मांगों पर ध्यान देने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि शिक्षक कक्षाओं में वापस लौट आएं।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, आदेश में कहा गया कि देश में चल रहे शिक्षक विरोध प्रदर्शन से छात्रों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और अगर अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है, तो यह जारी रहेगा।


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