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नेहरू स्मारक संग्रहालय पुनर्गठित, कांग्रेस ने बताया बदले की राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय सोसाइटी का पुनर्गठन कर दिया गया है

नेहरू स्मारक संग्रहालय पुनर्गठित, कांग्रेस ने बताया बदले की राजनीति
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय सोसाइटी का पुनर्गठन कर दिया गया है और उसमें कांग्रेस से जुड़े सदस्यों को हटाने को पार्टी ने राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया है।

पुनर्गठित सोसायटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसका उपाध्यक्ष बनाया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ कर्णसिहं, मल्लिकार्जुन खड़गे तथा जयराम रमेश को 28 सदस्यीय नयी टीम में शामिल नहीं किया गया है। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश और प्रसिद्ध विद्वान लोकेश चन्द्र, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, सचिव सच्चिदानंद जोशी, गीतकार प्रसून जोशी, पत्रकार रजत शर्मा, शिक्षाविद् कपिल कपूर, शिक्षाविद् मकरंद परांजपे, पत्रकार एवं सांसद स्वप्न दास गुप्ता आदि शामिल हैं।

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाटे ने सरकार के इस कदम को बदले की भावना से उठाया गया कदम बताया है और कहा है कि मोदी सरकार नेहरू की विरासत को मिटाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाएगी। कांग्रेस पहले भी मोदी सरकार पर आरोप लगाती रही है कि उसने नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय में व्यापक फेर बदल कर नेहरू की विचारधारा को खत्म कर रही है और दक्षिण पंथी विचारधारा को बढावा दे रही है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इस संस्था से नेहरू की स्मृति को मिटाने का काम कर रही है।

संस्कृति मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार सोसाइटी के सभी सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्षों एवं अग्रिम आदेश तक होगा। सोसाइटी में छह सदस्य पदेन हैं जिनमें संस्कृति सचिव, नेहरू स्मारक एवं संग्रहालय के निदेशक आदि शामिल हैं।

पिछली सोसाइटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह, मल्लिकार्जुन खडगे और श्री जयराम रमेश भी थे। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भी इस सोसाइटी का पुनर्गठन किया था और उसमें कम से कम कुछ कांग्रेसी सदस्य शामिल थे लेकिन इस बार एक भी कांग्रेस के सदस्य को नहीं रखे जाने पर कांग्रेस ने इसकी तीखी आलोचना की है। इस बार सदस्यों की संख्या 34 से घटाकर 28 कर दी गई है।


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