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बाढ़ पीड़ितों को राहत देने में लापरवाही बर्दाश्त नहीं : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने में किसी प्रकार की कोताही या लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए

बाढ़ पीड़ितों को राहत देने में लापरवाही बर्दाश्त नहीं : योगी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने में किसी प्रकार की कोताही या लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।

श्री योगी ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील एवं संवेदनशील 40 जिलों की समीक्षा की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित 15 जिलों अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, गोण्डा, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, मऊ तथा सीतापुर के जिला अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों से बाढ़ की स्थिति और राहत कार्यों के संचालन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की और आवश्यक निर्देश दिए।

उन्होने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सभी पीड़ित परिवारों को राशन किट उपलब्ध करायी जाए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जनहानि, पशुहानि, मकान क्षति अथवा अन्य हानि होने पर 24 घण्टे के अंदर जनप्रतिनिधि के माध्यम से पीड़ित परिवार को निर्धारित आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध करायी जाए। बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने में किसी प्रकार की कोताही या लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। राहत कार्यों के संचालन में शासन द्वारा निर्धारित कोरोना प्रोटोकाॅल का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत कार्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि उपलब्ध है। पूरी संवेदनशीलता बरतते हुए सभी बाढ़ पीड़ितों को राहत सहायता उपलब्ध करायी जाए। प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविरों में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों के लिए शुद्ध भोजन और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। तटबंधों आदि पर रह रहे बाढ़ पीड़ितों को तिरपाल उपलब्ध कराया जाए। पेट्रोमैक्स की व्यवस्था की जाए। बाढ़ प्रभावित गांव में नौकाओं की व्यवस्था भी रहनी चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल टीम द्वारा भ्रमण किया जाए। जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए क्लोरीन की गोलियां वितरित की जाएं।

उन्होने कहा कि बाढ़ की चपेट में आकर मकान की क्षति होने पर प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना अथवा मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार की जाए। सम्बन्धित गांव में भूमि की उपलब्धता न होने पर पीड़ित परिवार को किसी अन्य स्थान पर बसाने के सम्बन्ध में राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा जाए। आकाशीय बिजली अथवा सर्पदंश से मृत्यु होने पर पीड़ित परिवार को नियमानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाए। सर्पदंश, कुत्ते के काटने पर लगाए जाने वाले इंजेक्शन सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण में प्राकृतिक झीलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह जल संरक्षण की केन्द्र हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक झीलों की डीसिल्टिंग एवं पुनरूद्धार के लिए प्रत्येक जिले द्वारा कार्ययोजना तैयार करायी जाए। उन्होंने कहा कि जल भराव के कारण उठने वाली लहरों से सड़कों और तटबंधों में कटान की स्थिति बन जाती है। इनको नुकसान से बचाने के लिए तत्परता से कार्य किया जाए।

वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने मुख्यमंत्री को प्रदेश में बाढ़ से राहत की कार्ययोजना तथा अपर मुख्य सचिव सिंचाई टी वेंकटेश ने बाढ़, तटबंधों, नदियों के जल स्तर आदि की स्थिति के बारे में जानकारी दी। अपर मुख्य सचिव राजस्व ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 15 जिलों के 665 गांव बाढ़ प्रभावित हैं, जिनमें से 391 गांव मैरुण्ड तथा जलमग्न हैं। जिलों में बाढ़, राहत हेतु 328 बाढ़ शरणालय स्थापित किए गए हैं। चार जनपदों बलिया, आजमगढ़, मऊ तथा अम्बेडकरनगर में 24 बाढ़ शरणालयों में 1402 लोग रह रहे हैं।

अपर मुख्य सचिव सिंचाई ने बताया कि तटबंधों की मरम्मत, बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना, फ्लड फाइटिंग के लिये स्टाॅक की व्यवस्था, बाढ़ व बरसात के पुर्वानुमान सहित प्रतिदिन बाढ़ बुलेटिन जारी करने की तैयारी की गयी है। तटबंधों की सतत निगरानी एवं पड़ोसी राज्यों से समन्वय किया जा रहा है। लाॅकडाउन के बावजूद तटबंधों की मरम्मत करायी गयी है। बाढ़ काल से पूर्व 83 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है। शेष परियोजनाओं का कार्य सुरक्षित स्तर तक कराया गया है।


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