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देश को ‘आयुष्मान’ बनाने के लिए स्वच्छता को अपनाना जरूरी: नायडू

 उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्वच्छता को सामूहिक उत्तरदायित्व बताया और कहा कि देश को ‘आयुष्मान’ बनाने के लिए स्वच्छता को अपनाना जरूरी है

देश को ‘आयुष्मान’ बनाने के लिए स्वच्छता को अपनाना जरूरी: नायडू
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रांची। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्वच्छता को सामूहिक उत्तरदायित्व बताया और कहा कि देश को ‘आयुष्मान’ बनाने के लिए स्वच्छता को अपनाना जरूरी है।

उपराष्ट्रपति नायडू ने आज यहां ‘स्वच्छता ही सेवा है’ के तहत नामकुम में आयोजित जनसंवाद एवं जागरुकता समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि सामुदायिक स्वच्छता सिर्फ सरकारी स्तर पर हो रहे प्रयास से प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए सभी को संकल्प लेने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि देश का नागरिक होने के नाते सभी को स्वच्छता के लिए उनके हिस्से की जिम्मेवारी निभाने की आवश्यकता है, तभी स्वच्छता को सही मायने में धरातल पर उतारा जा सकेगा।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को आयुष्मान बनाने के लिए स्वच्छता अपनाना बेहद जरूरी है, क्योंकि ज्यादत्तर बीमारियां गंदगी से होती है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष एक लाख से ज्यादा बच्चे गंदगी की वजह से बीमार होते हैं। यही नहीं अस्वच्छता राष्ट्र के सम्मान को भी प्रभावित करता है। इसलिए, स्वच्छता के प्रति गंभीरता नितांत जरूरी है।

उपराष्ट्रपति नायडू ने खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लिए झारखंड सरकार के प्रयासो की सराहना करते हुये कहा कि चार वर्ष पूर्व झारखंड मात्र 16 प्रतिशत खुले में शौच से मुक्त हो पाया था लेकिन आज यह आंकड़ा 96 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यह उछाल राज्य की स्वच्छता के प्रति जागरुकता और स्वच्छता अपनाने की प्रतिबद्धता का परिचायक है।

उन्हें पूर्ण विश्वास है कि राज्य की इस प्रतिबद्धता के सुखद परिणाम सामने आएंगे और स्वच्छ भारत के सपने को पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान को जन आंदोलन बना कर इसके उदेश्य को पूरा किया जा सकता है।


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