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राजग सरकार ने देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला: मनीष तिवारी

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने देश को आर्थिक आपातकाल की तरफ धकेल दिया है।

राजग सरकार ने देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला: मनीष तिवारी
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चंडीगढ़ । कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने देश को आर्थिक आपातकाल की तरफ धकेल दिया है।

तिवारी ने आज यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार में नीतिगत ठहराव और वैचारिक कंगाली के चलते अर्थव्यवस्था बर्बाद होती दिख रही है। इन्होंने अर्थव्यवस्था को आईसीयू में पहुंचा दिया है और सरकार को कुछ नहीं पता चल रहा। कांग्रेस भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लोगों के सामने लाने के लिए 5 से 19 नवंबर तक राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करेगी।

उन्होंने कहा कि इस पखवाड़े के दौरान देशभर में प्रदर्शन किया जाएंगे ताकि अर्थव्यवस्था को कंगाली में धकेलने वाली इस सरकार को नींद से जगाया जा सके। भारत सरकार की ओर से रीजनल कंप्रेंहेन्सिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (आरसीईपी) पर हस्ताक्षर किए जाने का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरे प्रभाव पड़ेंगे और घरेलू उद्योग खत्म हो जाएंगे। यह नोटबंदी और गलत तरीके से जीएसटी को लागू करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर तीसरा हमला होगा।

उन्होंने कहा कि 72 सालों में यह पहली बार हो रहा है कि भारत को चीन के साथ निशुल्क व्यापार समझौता करने पर मजबूर किया जा रहा है, सिर्फ इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा ऐसा चाहते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने से भारत के कूटनीतिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे, क्योंकि चीनी उत्पादों को भारतीय बाजार में डंप कर दिया जाएगा।

उन्होंने बेरोजगारी की भयानक स्थिति की तस्वीर पेश करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने भारत के भौगोलिक बंटवारे को भौगोलिक आपदा में बदल दिया है, जिसके लिए उन्होंने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के आंकड़ों का उदाहरण पेश किया, जिनमें कहा गया है कि बेरोजगारी 45 सालों के सबसे बड़े स्तर पर पहुंच चुकी है और अभी भी बढ़ रही है। इसी तरह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक अगस्त, 2019 में बेरोजगारी की दर 8.19 प्रतिशत थी, जो 8.5 प्रतिशत को बढ़ चुकी है और यह अब तक का सबसे उच्च स्तर है। यहां तक कि वैश्विक स्तर पर इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) के मुताबिक भारत में बेरोजगारी की दर 4.95 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था डूब रही है और जीडीपी की विकास दर बीते 6 सालों में सबसे धीमी गति पर है। इस क्रम में, आंकड़ों की हेरफेर के बावजूद जीडीपी की विकास दर वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत कम रही। ऐसे में एनडीए सरकार के नीतिगत ठहराव और वैचारिक कंगाली के चलते आईएमएफ, फिच, वर्ल्ड बैंक, मूडीज और यहां तक कि आरबीआई भी विकास दर में कटौती की बात कर चुके हैं।

श्री तिवारी ने कहा कि नए निजी निवेशों में 16 सालों में सबसे बड़ी कमी आई है, जबकि घरेलू बचत 20 सालों में सबसे कम दर पर हैं। भारत का ओवरऑल बचत रेट हाल ही में 34.6 प्रतिशत से 30 प्रतिशत को गिर चुका है।


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