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एनसीबी एसआईटी ने क्रूजर मामले की जांच संभाली, कई स्थलों का दौरा किया, 7 को समन

क्रूज जहाज पर रेव पार्टी और अन्य मामलों की औपचारिक रूप से जांच के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) नई दिल्ली से यहां पहुंचा

एनसीबी एसआईटी ने क्रूजर मामले की जांच संभाली, कई स्थलों का दौरा किया, 7 को समन
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मुंबई। क्रूज जहाज पर रेव पार्टी और अन्य मामलों की औपचारिक रूप से जांच के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) नई दिल्ली से यहां पहुंचा। अधिकारियों ने यहां सोमवार को यह जानकारी दी। वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने मामले में बॉलीवुड मेगास्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन और उनकी मैनेजर पूजा ददलानी सहित कम से कम सात आरोपियों या गवाहों को समन भेजा है।

हालांकि, आर्यन खान और पूजा, दोनों ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए। बाद में एनसीबी-एसआईटी के सामने उनके पेश होने की संभावना है।

एसआईटी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का भी दौरा किया, जहां कथित रेव पार्टी पर एनसीबी ने 2 अक्टूबर को छापा मारा था और फीनिक्स मॉल के पास लोअर परेल में एक स्थान पर, जहां गवाह प्रभाकर सैल ने आरोप लगाया था कि पूजा ददलानी ने सैम डिसूजा और के.पी. गोसावी को 50 लाख रुपये का एक पैकेट सौंपा था।

टीम की योजना एनसीबी के स्वतंत्र गवाहों में से एक और गोसावी के अंगरक्षक सैल का बयान दर्ज करने की है। वह दूसरा स्वतंत्र गवाह है, जिसे अब महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

सैल ने एक हलफनामा जारी कर एक बड़ी सनसनी पैदा कर दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि उसने शाहरुख खान के साथ 25 करोड़ रुपये के सौदे की बात सुनी थी, जिसमें से 8 करोड़ रुपये एनसीबी के मुंबई क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को मिलने थे।

हालांकि वानखेड़े ने आरोपों का जोरदार खंडन किया। एनसीबी ने मामले की जांच का आदेश देने के लिए कड़ा संज्ञान लिया और कॉर्डेलिया क्रूज पर छापेमारी सहित मुंबई एनसीबी के आधा दर्जन मामलों की जांच अपने हाथ में लेने के लिए एसआईटी का गठन किया।

इस मामले में डिसूजा का नाम भी शामिल है। उसने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दायर अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि गोसावी ने आर्यन खान की रिहाई के लिए पूजा ददलानी से कथित तौर पर 50 लाख रुपये लिए थे।

अक्टूबर के अंत में, ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में एक सतर्कता जांच दल ने जबरन वसूली और भुगतान के आरोपों की जांच के लिए कुछ दिनों के लिए मुंबई में डेरा डाला था, लेकिन यह दल सैल सहित कई प्रमुख व्यक्तियों का बयान दर्ज नहीं कर सका था।


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