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नवापारा-राजिम : डोल ग्यारस पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया 

डोल ग्यारस पर्व नगर मे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह पर्व मनाया जाता है

नवापारा-राजिम : डोल ग्यारस पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया 
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नवापारा-राजिम। डोल ग्यारस पर्व नगर मे बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं इसीलिए इसे 'परिवर्तनी एकादशी भी कहा जाता है।

इसके अतिरिक्त यह एकादशी 'पद्मा एकादशी और 'जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ का पूण्य लाभ मिलता है। छत्तीसगढ़ का प्रयागराज राजिम के सुप्रसिद्ध मंदिर भगवान श्री राजीव लोचन मंदिर एवं नवापारा के राधा कृष्ण मंदिर और श्री सत्यनारायण मंदिर से भगवान श्री कृष्ण के बाल रुप को डोला में सजा कर उसे बिठा कर नगर भ्रमण कराया गया।

इस डोला को उठाने के लिए निषाद समाज एवं कसेर समाज के बन्धुओ ने सहयोग दिया। जब से यह परम्परा प्रारंभ हुई है तब से निषाद समाज के लोग इस डोला को उठा कर नगर भ्रमण करा कर पैरी, सोढू़र और महानदी के संगम पर स्थित श्री कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में लाकर भगवान के बाल स्वरुप को नदी मे स्नान कराया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और शंकर जी दोनों नदी के जल मे क्रीडा, नौका विहार करते हैं। चूंकि श्री कुलेश्वर नाथ मंदिर के चारो ओर पानी भराव होने के कारण भक्त लोमश ऋषि आश्रम के पास पूजा अर्चना किए।


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