आदिवासी छात्राओं की उपेक्षा से छत्तीसगढ़ खेल जगत शर्मसार
नवापारा राजिम ! छत्तीसगढ़ के होनहार आदिवासी छात्राओं के साथ हुई उपेक्षा से छत्तीसगढ़ का खेल-जगत षर्मसार हुआ. बताया जाता है

नवापारा राजिम ! छत्तीसगढ़ के होनहार आदिवासी छात्राओं के साथ हुई उपेक्षा से छत्तीसगढ़ का खेल-जगत षर्मसार हुआ. बताया जाता है कि बिना कोच, बेना ट्रेनिंग के छात्राओं ने यह हुनर अपने आप व रामदेव बाबा के चैनल देखकर बनाया. इन्हें आगे बढ़ाने के लिए कई बार टीवी समाचारों में भी इन्हें स्थान मिला और कई पदक प्राप्त होने के कारण मात्र इनके षिक्षक और प्राचार्य की घोर लापरवाही के कारण इन छात्राओं को राश्ट्रीय प्रतिभा में हिस्सा लेने नहीं मिला. कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढऩे वाली गांव की दो गरीब छात्राएं प्रतिमा मरकाम और चैती नागेष जिमनास्टिक खेल का नाम नहीं जानती थी, लेकिन उसी खेल में पारंग में गत होकर हरियाणा के राई सोनपत में आयोजित होने वाले 62 वीं राश्ट्रीय षालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता के लिए चयनित हो गई. पर ऐन वक्त पर जिम्मेदारों ने छात्राओं को आयोजन स्थल नहीं पहुंचाया. इस कारण बेटियां राश्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखने से चूक गई. इस मामले में गरियाबंद जिला क्रिडा अधिकारी का कहना है कि केवल पीटीआई षिक्षक की जिम्मेदारी नहीं थी, संस्था प्रमुख को भी नियत तिथि को बच्चों को पहुंचाना था. मुझे पता चला कि छात्राओं की तबियत खराब थी, इसलिए दूरे को भी नहीं ले जाया गया होगा.
हुनर बाजों को हर संस्था खोजती है और यहां की संस्था ऐसे लोगों से बेपरवाह हुई. स्पर्धा के लिए राज्यभर में बालिका वर्ग से केवल तीन खिलाडिय़ों का ही चयन हुआ था. जिसमें देवभोग के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की दो आदिवासी छात्राएं 14 वर्शीय वर्ग में प्रतिमा मरकाम और 17 वर्शीय वर्ग में चैती नागेष का चयन किया गया था. लोक षिक्षण संचालनालय रायपुर के जारी आदेष पत्र के मुताबिक दोनों छात्राओं को 5 जनवरी तक राई सोनपत पहुंचकर 6 जनवरी को आयोजित स्पर्धा के मुताबिक देवभोग हाईस्कूल में पदस्थ पीटीआई ममता साहू का इनका कोच मनाया गया था. जिन्हें 1 से लेकर 3 जनवरी के भीतर छात्राओं को पेन्ड्रा डीईओ तक पहुंचाना था। अपनी जवाबदारी एक-दूसरे के उपर डालना षिक्षकों के लिए आम बात हो गई है जबकि गरियाबंद जिले में ऐसे-ऐसे खेल षिक्षक हैं अगर उन्हें विरश्ठ अधिकारी जवाबदारी देते तो ऐसी नौबत नहीं आती क्योकि जो खेल षिक्षक होता है वह खिलाडिय़ों की प्रतिभा को उभारने के लिए अपना पूरा समय देता है जबकि यहां जिस षिक्षिका को जवाबदारी दी गई वह पढ़ाने एवं परीक्षा कार्य में व्यस्त रख इन छात्राओं के साथ घोर अन्याय किया ऐसे षिक्षक के उपर षासन क्या निर्णय लेती है यह तो समय ही बताएगा. दोनों छात्राओं को रास्य स्तरीय खेल के लिए मुख्यालय नहीं पहुंचाया।
अंतिम समय तक तैयार बैठी छात्राओं को पहुंचाने के बजाए जिम्मेदार लोग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रह गए. जिसका खामियाजा गांव की प्रतिभावान छात्राओं को भुगतना पड़ा। आदिवासी पिता को योग करते देख जिमनास्टिक के प्रति रूचि पैदाकर जिला स्तर पर, फिर राज्य स्तर पर अव्वल प्रदर्षन कर राश्ट्रीय षालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता के लिए चयनित प्रतिभा ने कहा कि वह अंतिम तिथि कर तैयार होकर ले जाने वाले षिक्षक का इंतजार करती रही. छात्रा ने कहा कि इस लेबल पर चूकने का अफसोस पूरी जिंदगी भर रहेगा. दोबारा ऐसा अवसर मिलेगा भी या नहीं. ये कहते हुए वह रो पड़ी. उसने कहा कि उसे नहीं जाने का पत्र लिखा लिया गया. राश्ट्रीय स्तर पर जिमनास्टिक का प्रदर्षन करना उसका ख्वाब था। विकासखंड अधिकारी प्रदीप षर्मा ने कहा कि अंतिम तिथि पर मुझे पता चला कि ममता साहू षिक्षिका पीटीआई नहीं जा रही हैं. अधीक्षिका छात्रावास के अन्य बच्चों को छोड़ कर नहीं जा सकती थी. बच्चो को ले जाने की जिम्मेदारी किसी दूसरे को दी गई है. उस वक्त मैने दोबारा नहीं पूछा. पीटीआई को षोकॉज नोटिस जारी किया गया. उत्तर नेताम जिला क्रिड़ा अधिकारी, गरियाबंद ने कहा कि संचालनालय का पत्र अधीक्षिका की जिम्मेदारी नहीं थी. अधिक्षीका को भी पेंन्ड्रा स्टेषन तक पहुंचाना था. ममता साहू ने जवाबदारी ड्यूटी निरस्त करने कहा कि उनकी ड्यूटी के बदले दूसरे को लगाया गया था कि नहीं मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
पीटीआई ने कहा कि मैने ड्यूटी कैंसिल करा ली....
जिम्मेदार पीटीआई ममता साहू ने कहा कि पहले तो दो में से एक बच्ची स्वयं खेलने नहीं जाने के लिए लिखित में पत्र दिया. मैडम ने बताया कि 5 जनवरी से देवभोग स्कूल में षालेय क्रीडा प्रतियोगिता का आयोजन था. हरियाणा जाने के बजाय जहां मै पदस्थ हूं, वहां का आयोजन संपन्न कराना जरूरी था. इसलिए मैने लोक षिक्षण संस्था में पत्र भेज ड्यूटी कैंसिल करा ली थी. लेकिन उनके बदले किसको जवाबदारी दी गई थी यह मुझे नहीं मालूम. सभी लोग अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. पर ऐसे गैर जिम्मेदार के उपर षासन क्या कार्यवाही करती है और ऐसे प्रतिभावान छात्रों को आगे खेलने का मौका मिल पाएगा या नहीं? प्रतिभावान खिलाड़ी ख्ेाल से वंचित हुई उसका दोशी कौन? क्या ऐसे खेल अधिकारी, षिक्षका को कोई दण्ड मिलेगा या नहीं? ताकि भविश्य में ऐसे होनहार आदिवासी छात्रा खिलाड़ी के साथ दूबारा गलती न हो ऐसी व्यवस्था सरकार, षिक्षा विभाग बनाये? आदिवासी छात्रा राश्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता से वंचित हुई मात्र वरिश्ठ अधिकारियों के गौरजुम्मेदारी पूर्ण रवैये के कारण।


