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गुम हो रहे गजराज : झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में 35 दिन में चार हाथियों की मौत

कभी हाथियों की सुरक्षित रिहाइश माने जाने वाले झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के जंगल अब उनके लिए मौत की वादियों में बदलते जा रहे हैं

गुम हो रहे गजराज : झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में 35 दिन में चार हाथियों की मौत
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रांची। कभी हाथियों की सुरक्षित रिहाइश माने जाने वाले झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के जंगल अब उनके लिए मौत की वादियों में बदलते जा रहे हैं। पिछले 35 दिनों में इस प्रमंडल में चार हाथियों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया है।

ताजा घटना पश्चिम सिंहभूम जिले की सेरेंगसिया घाटी की है, जहां गुरुवार को एक जंगली हाथी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो हाथी की मौत बिजली का करंट लगने से हुई है।

वन प्रमंडल पदाधिकारी आदित्य नारायण ने कहा कि हमें गुरुवार को घाटी में एक हाथी का शव पड़े होने की सूचना मिली। विभाग की मेडिकल टीम तत्काल मौके पर पहुंची। शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही हाथी की मौत की वजह पता चल पाएगी।

इससे पहले 5 जुलाई को इसी जिले के सारंडा जंगल में एक हाथी की मौत हो गई थी। नक्सलियों द्वारा जमीन के नीचे लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के विस्फोट से घायल छह साल के हाथी ने दम तोड़ दिया था।

सारंडा के आस-पास के लोग इस हाथी को प्यार से ‘गडरू’ नाम से पुकारते थे। यह हाथी 24 जून को विस्फोट में जख्मी हुआ था और इसके बाद घिसट-घिसटकर बेबस हो गया था। वन विभाग ने ड्रोन के जरिए उसका लोकेशन ट्रैक किया था। वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए काम करने वाली गुजरात की संस्था ‘वनतारा’ की मेडिकल रेस्क्यू टीम ने 5 जुलाई को घायल हाथी का इलाज शुरू किया था, लेकिन कुछ ही घंटों में उसने दम तोड़ दिया था।

सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल वन क्षेत्र अंतर्गत हेवन गांव में 24 जून की रात एक मादा हाथी की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी। एक हफ्ते बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि उसकी मौत करंट लगने से हुई थी।

जांच में खुलासा हुआ कि एक व्यक्ति ने खेत में लगी फसल को बचाने के लिए बिजली का करंट दौड़ा दिया था। इसी की चपेट में आकर हाथी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। जांच के बाद आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

5 जून को भी इसी वन क्षेत्र के अंतर्गत आमबेड़ा के पास एक हाथी खेत में मृत पाया गया था। अब तक इसकी मौत की वजह का पता नहीं चल पाया है। कोल्हान के अलग-अलग इलाकों में तीन साल के दौरान अलग-अलग कारणों से कम से कम डेढ़ दर्जन हाथियों की मौत हुई है।

साल 2023 के नवंबर महीने में पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल अंतर्गत मुसाबनी के बेनियासाई गांव में बिजली का करंट लगने से पांच हाथियों की मौत हो गई थी। 2024 के जुलाई महीने में बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के सांड्रा पंचायत में भादुआ गांव के पास एक खेत में एक हथिनी का शव मिला था। जुलाई 2024 में संसद में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बताया था कि भारत में पिछले पांच सालों में अवैध शिकार, जहर, बिजली के झटके और ट्रेन दुर्घटनाओं सहित अप्राकृतिक कारणों से 528 हाथियों की मौत हो गई थी। अकेले झारखंड में इस दौरान 30 हाथियों की करंट लगने से मौत हुई।


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